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Annual Status Education Report यानी ASER की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत में अधिक छात्र स्कूल जा रहे हैं. साथ ही छात्रों में पढ़ने की क्षमता भी बेहतर हुई है. सबसे ज्यादा बेहतर स्थिति तीसरी क्लास के बच्चों में देखी गई है. 2014 में तीसरी क्लास के 40.2 फीसदी बच्चे पहली क्लास की किताब पढ़ पाते थे वहीं 2016 में उनकी संख्या बढ़कर 42.5 फीसदी हो गई है.
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रिपोर्ट में जताई गई चिंता
रिपोर्ट में कहा गया है कि 5वीं क्लास के छात्रों के रीडिंग स्किल 2014 के मुकाबले 2016 में जस के तस बने हुए हैं. लेकिन चिंता की बात 8वीं क्लास के छात्रों को लेकर सामने आई है. 8वीं के छात्रों में रीडिंग स्किल काफी कम है. साल 2014 में जहां कक्षा 8 के 74.7 फीसदी बच्चे क्लास 2 की किताब पढ़ सकते थे, वहीं साल 2016 में ये आंकड़ा घटकर 73.1 फीसदी रह गया.
रिपोर्ट के मुताबिक अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता प्राइमरी स्कूलों में आज भी बेहतर नहीं हो पाई है. 2016 में 60 फीसदी बच्चे शब्द पढ़ सकते थे, 62.4 फीसदी पूरी लाइन पढ़ सकते थे, लेकिन मतलब नहीं समझा सकते.
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हालांकि हिमाचल, महाराष्ट्र, हरियाणा और केरल के सरकारी स्कूलों में स्थित कुछ बेहतर हुई है. जहां पांचवीं क्लास के बच्चों में साधारण अंग्रेजी पढ़ने की स्थिति में सुधार हुआ है. लेकिन 8वीं क्लास के बच्चों की स्थिति यहां भी पतली है. साल 2009 में 60.2 फीसदी के मुकाबले साल 2016 में आंकड़ा घटकर 45.2 फीसदी तक आ गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्कूलों की स्थिति निजी स्कूलों के मुकाबले सुधरी है. ग्रामीण भारत में सरकारी स्कूलों में दाखिला निजी स्कूलों के मुकाबले बढ़ा है और निजी स्कूलों की स्थिति जस की तस है.