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एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर के लिए इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है कि उसका बेटा देश की सबसे बड़ी परीक्षा (सिविल सर्विस) पास कर जाए. महाराष्ट्र के जालाना जिले के शेडगांव के रहने वाले अंसार अहमद शेख ने अपने पहले ही प्रयास में सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली है. उनकी ऑल इंडिया रैंक 361 है.
पुणे के फर्गुसन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन करने वाले अंसार अहमद शेख ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा कि वो यूपीएससी की तैयारी करने के लिए ही शहर आए थे लेकिन मुस्लिम नाम की वजह से उन्हें शहर में रहने के लिए अच्छा घर नहीं मिल पा रहा था.
उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि जब मैं अपने दोस्तों के साथ पीजी खोजने के लिए निकला तो मेरे मुस्लिम होने की वजह से जगह नहीं मिली, जबकि मेरे दोस्तों इस मामले में कोई दिक्कत नहीं आई. इसलिए मैंने अगली बार पीजी खोजते हुए इस बात का ख्याल रखा और अपना नाम शुभम बताया. नाम बदलने के बाद मुझे आसानी से पीजी मिल गया. दरअसल मेरे दोस्त का नाम शुभम था. अब मुझे अपना असली नाम छुपाने की कोई जरूरत नहीं है.'
अपने अनुभवों का याद करते हुए उनकी आंखे भर जाती हैं. अपने मुश्किल हालातों को याद करते हुए वो कहते हैं कि उनके पिता की तीन बीवियां हैं, उनके घर में पढ़ाई-लिखाई का कोई माहौल नहीं था. उनके छोटे भाई ने स्कूल में ही पढ़ाई छोड़ दी और बड़ी दो बहनों की शादी छोटी उम्र में ही कर दी गई थी. उन्होंने जब अपने घर में यूपीएसी पास करने की बात बताई तो सब हैरान हो गए.
अपनी पढ़ाई और सफलता के बारे में वो बताते हैं कि इसका कोई शॉर्टकट नहीं होता. उन्होंने कहा कि वह तीन वर्षों से लगातार 10-12 घंटे पढ़ाई कर रहे हैं. अगर कोई स्टूडेंट इस परीक्षा को पास करना चाहता है तो उसे खुद से पूछना चाहिए कि वह इस सिस्टम में क्यों आना चाहता है. जैसे ही उसे इस सवाल का जवाब मिल जाएगा, उसकी राह आसान हो जाएगी.
उनका यह भी कहना है कि खुद के साथ हुए धर्म के आधार पर भेदभाव होने के बाद अब वह पूरी जिंदगी हिंदू और मुस्लिम भाईचारे के लिए काम करते रहेंगे.