
झारखण्ड में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में अंग्रेजी शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए राज्य सरकार अब ब्रिटिश कौंसुलेट की सहायता लेगी. इसे लेकर बनाई गयी योजना प्रस्ताव को झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने अपनी मंजूरी दे दी है. इस योजना के लिए ब्रिटिश कौंसुलेट ने भी अपनी सहमति दे दी है और बहुत जल्द इसके लिए सरकार के साथ करार पर हस्ताक्षर करेगी.
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी स्टाफ भारत आकर देगा दाखिला, हो जाएं तैयार...
ब्रिटेन से एक्सपर्ट आएंगे पढ़ाने
करार पर हताक्षर होने के बाद ब्रिटिश शिक्षाविद झारखण्ड के शिक्षकों को अंग्रेजी पढ़ाने की शिक्षा देंगे. योजना के मुताबिक पहले शिक्षकों के अंग्रेजी की जानकारी के स्तर का आंकलन किया जायेगा. इसके बाद शिक्षकों को अलग-अलग ग्रुप में बांटकर प्रशिक्षण दिया जायेगा. गौरतलब है कि राज्य में कक्षा एक से ही बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा दी जाती है लेकिन इस विषय को पढ़ाने के लिए स्कूलों में विशेषज्ञ शिक्षकों का आभाव है. ऐसे में दूसरे विषय के शिक्षकों से ही अंग्रेजी पढ़ाने का काम लिया जाता है. अंग्रेजी की पढ़ाई की बेहतर व्यवस्था नहीं होने से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अंग्रेजी में काफी कमजोर होते हैं.
स्कूल बसों में GPS और CCTV जरूरी, CBSE ने जारी कीं गाइडलाइंस
बच्चो में अंग्रेजी भाषा के ज्ञान का स्तर शोचनीय
दरअसल शिक्षकों की कमी दूर करने के साथ-साथ सरकार की मंशा ऐसे योग्य शिक्षकों को तैयार करना भी है जिससे शिक्षा का स्तर सुधारा जा सके. एक अनुमान के मुताबिक मेट्रिक में प्रति वर्ष लगभग डेढ़ लाख परीक्षार्थी अंग्रेजी में फेल हो जाते हैं. वहीं झारखंड में मेट्रिक में अंग्रेजी में पास होना विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य भी नहीं है. ऐसे में सरकार ने ब्रिटिश कौंसुलेट की मदद से इस कमी को दूर करने का बीड़ा उठाया है.