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स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने को थी मजबूर, हासिल किया 9.8 CGPA

कुछ करने की प्रेरणा चाहते हैं तो स्ट्रीट लाइट में पढ़कर 9.8 CGPA लाने वाली इस बच्ची के बारे में जानें...

Apeksha (PC- HT) Apeksha (PC- HT)
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2016,
  • अपडेटेड 7:11 PM IST

कहा जाता है कि प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती और हरियाणा प्रांत के गुड़गांव शहर में गार्ड की नौकरी करने वाले एक शख्स की बिटिया ने इस बात को साबित कर दिखाया है. इस लड़की का नाम अपेक्षा सिंह है और हाल ही में जारी किए गए CBSE दसवीं की परीक्षा में उसे 9.8 CGPA मिले हैं.

अपेक्षा के स्कोरकार्ड पर एक नजर...
अपेक्षा गुड़गांव के द्रोण पब्लिक स्कूल की छात्रा हैं और उन्हें साइंस, मैथ्स, इंग्लिश और हिंदी में 10 CGPA मिले हैं और सोशल साइंस में उनका CGPA 9 है.

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आसान नहीं था यह सब-कुछ...
अब इस बात से तो हर कोई वाकिफ है कि बिना कुछ किए ही जय-जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. अपेक्षा के पास तो पढ़ाई-लिखाई के लिए कॉपी-किताब और बिजली जैसी प्राथमिक सुविधाएं तक नहीं थीं. वह कई बार स्ट्रीट लाइट के सहारे पढ़ाई करती थीं. इन तमाम दिक्कतों के बावजूद वह परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध थीं. वह पूरे दिन में सिर्फ 3 घंटे पढ़ा करतीं और मैथ्स के लिए एक्स्ट्रा क्लासेस लेती थीं.

पिता हैं गार्ड, बेहद कम है सैलरी...
अपेक्षा के पिता एक मात्र शख्स हैं जो पूरी फैमिली में कमाते हैं और उन्हें इसके एवज में 10,00 रुपये दरमाह मिलते हैं. वे इससे 5 सदस्यों के रहने-खाने की व्यवस्था करते हैं. अपेक्षा पहले हिंदी माध्यम की छात्रा थीं लेकिन उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें DLF फाउंडेशन की ओर से डिप्लोमा मिला और उन्हें अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया.
उन्हें शुरुआत में काफी दिक्कतें आईं. वह शुरुआती दौर में नर्वस भी रहा करतीं मगर उनकी मां उन्हें हमेशा हिम्मत बंधाती रहतीं. जल्द ही उन्हें भाषा की समझ हो गई और वह अपने स्कूली साथियों से अंग्रेजी में बातें करने लगीं.

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अपेक्षा के सपनों की उड़ान...
ऐसा नहीं है कि अपेक्षा इन अंकों को हासिल करने के बाद रुकने वाली हैं. वह डॉक्टर (सर्जन) बनना चाहती हैं और लोगों की सेवा करना चाहती हैं. हालांकि यह उनके लिए संभव नहीं कि वह सारे सब्जेक्ट्स में ट्यूशन ले सकें. वह दूसरों से नोट्स लेकर रिविजन करती हैं. उनकी मां उन्हें हर संभव तौरतरीके से मदद करती हैं. अपेक्षा भी आगे चल कर अपनी छोटी बहनों की पढ़ाई में मदद और अपने माता-पिता के लिए किसी भी पुत्र से बढ़ कर काम करने की बात कहती हैं.

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