Advertisement

समान पाठ्यक्रम मसले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने 14 साल तक की उम्र के बच्चों को समान पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाने के सवाल पर केंद्र को जवाबतलब किया है. जल्द ही मांगा है जवाब.

Delhi High Court Delhi High Court
विष्णु नारायण/BHASHA
  • नई दिल्‍ली,
  • 16 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चों को समान पाठ्यक्रम उपलब्ध करवाने से संबंधित एक पेटीशन पर आज केंद्र से जवाब मांगा है. इस पेटीशन में सरकार को छह से 14 साल के सभी बच्चों को समान पाठयक्रम से पढ़ाई करवाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

क्या कहते हैं मुख्य न्यायाधीश?
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की बेंच ने केंद्र को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के भीतर जवाबी हलफनामा (affidavit) जमा करने को कहा है. बेंच ने कहा है के वे नोटिस जारी कर रहे है. केंद्र दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करें. इस मामले की सुनवाई 24 अक्तूबर को होगी.

Advertisement

क्या थी अधिवक्ता की दलील?
अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर इस पेटीशन में केंद्र को छह से 14 साल के बच्चों के लिए पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा तथा समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद विषय पर प्रामाणिक पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करवाने तथा ऐसी मानक किताबें देने का निर्देश देने को कहा गया है, जिनमें मूलभूत अधिकारों, मूलभूत कर्तव्यों, निर्देशात्मक सिद्धांतों और प्रस्तावना में निर्धारित किए गए स्वर्णिम लक्ष्यों पर आधारित पाठ हों. उन्होंने ऐसे दावे किए हैं कि संविधान की धारा 21ए के तहत वर्तमान शिक्षा प्रणाली विसंगतिपूर्ण है.

पेटीशन में कहा गया है कि बच्चों के अधिकारों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा तक सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि बच्चों के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर भेदभाव किए बगैर गुणवत्ता योग्य शिक्षा उपलब्ध करवाने तक इसका विस्तार किया जाना चाहिए. इसमें आगे कहा गया है कि शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. पेटीशन में इस बात का भी जिक्र है कि समान शिक्षा प्रणाली धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म करेगी और संविधान में निर्धारित अवसरों और दर्जे की समानता को लागू करेगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement