
आईआईटी दिल्ली में पिछले दिनों एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया थ्ाा और इस खबर से एक बार फिर बच्चों पर लगातार पढ़ाई के प्रेशर की बात उठने लगी थी.
आईआईटी के एंट्रेंस के लिए बच्चे 3 से 4 साल कड़ी मेहनत और कोचिंग करते हैं. उसके बाद भी कुछ बच्चे ही इस सबसे कठिन परीक्षा को पास कर आईआईटी कैंपस में एंट्री कर पाते हैं.
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लेकिन कैंपस के जाने के बाद भी बच्चों पर लगातार प्रोजेक्ट्स ओर परीक्षाओं का प्रेशर बना रहता हैं.वहीं इसी प्रेशर के चलते बच्चे कई बार गलत कदम उठा लेते हैं.बच्चों के इसी प्रेशर को थोड़ा कम करने के लिए आईआईटी दिल्ली ने अपने फर्स्ट ईयर के करिकुलम को रेवम्प करने की बात सोची हैं.
वी राम गोपाल राव, डायरेक्टर आई आई टी दिल्ली ने हमे बताया कि बच्चों को फर्स्ट ईयर में प्रैक्टिकल प्रैक्टिसेज प्रोवाइड करने के लिए बात चल रही हैं ताकि कैंपस में आने के बाद बच्चे थोड़ा रिलैक्स कर पढ़ाई को एन्जॉय कर सके.
एंट्रेंस निकालने के लिए 3 से 4 साल तक बच्चे किताबों और नोट्स में ही उलझे रहते हैं. लेकिन कैंपस में जाने बाद भी उन्हें कोई राहत नही मिलती जिसका अंजाम प्रेशर और स्ट्रेस के रूप में हर पल उन्हें झेलना पड़ता हैं.
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कोचिंग से शुरू हुआ प्रेशर और पढ़ाई का सिलसिला बच्चा हर पल झेलता रहता हैं.हर स्टूडेंट के लिए इस स्ट्रेस को हैंडल करना मुमकिन नही हो पाता हैं और शायद यही वजह हैं कि हमारे देश मे हर घंटे 8 स्टूडेंट्स सुसाइड कर लेते हैं.आईआईटी के फर्स्ट ईयर करिकुलम में बदलाव करने की राह पर चलता आईआईटी दिल्ली बच्चों को किताबों और सवालों से हटा कर प्रैक्टिकल पढ़ाई की तरफ ले जाने की सोच रहा हैं.
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लेकिन सुसाइड करने की पीछे की मानसिकता अगर सिर्फ पढ़ाई या कोई परीक्षा हैं तो वाकई उस सिस्टम को बदलने की ज़रूरत हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक सुसाइड के पीछे सिर्फ एक ही वजह नही होती इसीलिए अगर एक स्टूडेंट सुसाइड करता हैं तो उसके पीछे पढ़ाई के प्रेशर के अलावा दूसरी चीज़े भी ज़रूर रहती हैं.
बड़े इम्तिहानों में टॉप करने वाले बच्चे और फेल होने वाले बच्चो में सिर्फ इतना ही फर्क होता हैं कि एक प्रेशर को हैंडल करके पढ़ाई करता हैं और दूसरा प्रेशर में रहकर पढ़ाई करता हैं अब ऐसे में बच्चों को बड़े इम्तिहानों की तैयारी के साथ साथ ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव , हार-जीत को झेलने की तैयारी भी करवानी चाहिए.