
दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नौंवी क्लास के एग्जाम में 2 ऐसे सवाल पूछे गए हैं जिन्हें धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया जा रहा है. राम, रहीम और सीता से जुड़े इन सवालों को देखकर टीचर्स अचरज में पड़ गए और बहुत से टीचर इससे नाराज भी हैं. टीचर्स का कहना है कि इससे समाज के बड़े वर्ग की भावनाओं को चोट पहुंचती है और इसके विरोध में उन्होंने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को लेटर भी लिखा है.
यह मामला बुधवार को होने वाले एग्जाम का है जो इवनिंग शिफ्ट में हुआ था. पहला सवाल हिंदुओं के आराध्य श्रीराम के बारे में था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सवाल में चार स्थितियां दिखाकर यह बताने को कहा गया था कि कौन-सा स्वरूप लोकतंत्र का है और इसके बारे में अपने तर्क रखने को भी कहा गया था. सवाल में कहा गया था- राम के शासन में सभी निर्णय राजा द्वारा लिए जाते थे और उनमें जनता का योगदान नहीं होता था.'
एक दूसरे सवाल में चार हालात दिए गए थे और स्टूडेंट्स से कहा गया था कि वे उस स्थिति की पहचान करें जिसमें किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन होता हो. इसमें दी गई एक स्थिति इस प्रकार थी- सीता (जी) को गिरफ्तार हुए दो साल हो गए, लेकिन उन्हें अभी तक मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया गया. इस सवाल में रामायण का कोई उल्लेख नहीं है, लेकिन ब्रैकेट में 'जी' लगे होने की वजह से इसे भी हिंदुओं की एक और आराध्य देवी सीता से जोड़कर देखा जा रहा है और इस वजह से टीचर्स को इस पर भी आपत्ति है.
ऐसा नहीं कि सवाल से सिर्फ एक धर्म के लोगों को आपत्ति हो. ऐसा लगता है कि जैसे सवाल तैयार करने वाला कोई मजाक कर रहा हो. उपरोक्त सवाल में ही एक और स्थिति बताते हुए कहा गया है- रहीम जी और उनका संगठन सरकार की नीतियों के खिलाफ जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना चाहता है, लेकिन उन्हें इजाजत नहीं दी जा रही है.
टीचर्स का कहना है कि इन सवालों को देखकर ऐसा लगता कि इन्हें कितने असंवेदनशील व्यक्ति या व्यक्तियों ने तैयार किया है, जिनके अंदर सांस्कृतिक जागरूकता नाम की कोई चीज नहीं है. डिप्टी सीएम को लिखे अपने लेटर में टीचर्स के एसोसिएशन जीएसटीए ने लिखा है, 'किसी भी वाक्य या शब्द को अगर समुचित तरीके से इस्तेमाल न किया जाए, समाज के सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का ध्यान न रखा जाए तो भयावह समस्या खड़ी हो सकती है क्योंकि इससे समाज के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. यह आईपीसी के तहत भी दंडनीय अपराध है.'
पहले भी ऐसे तमाम वाकये सामने आते रहे हैं. पिछले साल दिल्ली सबऑर्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड (डीएसएसएसबी) के एक एग्जाम पेपर में आपत्तिजनक जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल होने से लोगों में नाराजगी पैदा हुई थी.