
साईं प्रसाद ऐसे पहले दिव्यांग हैं जो स्काईडाइव करते हैं. 30 साल के साईं प्रसाद ने अमेरिका से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स किया है और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से MBA डिग्रीधारक हैं.
बच्चों को फ्री में पढ़ाते हैं
आपको जानकर हैरानी होगी कि साईं अब तक 200 बच्चों को GMAT क्रैक करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं, जिनमें से 180 बच्चों ने 800 अंक के पेपर में 700 से अधिक अंक हासिल किए हैं. वे बच्चों से तभी फीस लेते हैं जब उन्हें ये एग्जाम पास कर लेने के बाद किसी टॉप की यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल जाता है. फिर वे उनसे उतना ही पैसा लेते हैं जितनी की दरकार उन्हें किसी टूर कि लिए होती है.
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एडवेंचर स्पोर्ट्स में दिलचस्पी
साईं को एडवेंचर स्पोर्ट्स में काफी
दिलचस्पी है. वे स्काईडाइव करते हैं. साथ ही बच्चों का एडवेंचर
स्पोर्ट्स के लिए उत्साहवर्धन करते हैं. वे एशिया के पहले ऐसे डिसेबल हैं
जो अंटारटिका तक पहुंचे हैं.
ISB ने दी सभी सुविधाएं
इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस यानी ISB के वे शुक्रगुजार इसलिए हैं क्योंकि केवल उन्हीं के लिए पूरे कैंपस को डिसेबल फ्रेंडली बना दिया गया. ISB में उन्होंने एंप्लायमेंट मॉडल बनाया जिसमें ये बताया गया था कि किस तरह डिसेबल लोग अपनी कमजोरियों को ही अपनी ताकत बना सकते हैं. उदाहरण के लिए ट्रैफिक को कंट्रोल करते समय एक पुलिस वाले को नॉयज पॉल्यूशन का सामना करना पड़ता है लेकिन एक बधिर इस काम को बिना किसी परेशानी के पूरा कर सकता है.
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बचपन से नहीं थे दिव्यांग
जब साईं का जन्म हुआ वो पूरी तरह से ठीक थे.
13 साल की उम्र में उन्हें पेरालाइस का अटैक हुआ. साईं बताते है, 'मेरे
माता-पिता ने मुझे काफी सपोर्ट किया. मेरी स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं
स्कूल में ज्यादा देर तक बैठ सकूं. इसलिए मेरे कई स्कूल बदले गए. हर कदम
पर मेरे पेरेंट्स मेरे साथ रहे.'