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नेपाल से लेकर अफगानिस्तान तक, क्यों हिमालय के रीजन में आते हैं भूकंप

हर साल पूरी दुनिया में भूकंप की घटनाओं से भारी तबाही की खबरें सामने आती हैं. आपके पैरों के तले से जमीन खींचने वाले ये कंपन बड़ी बड़ी इमारतें उखाड़ फेंकते हैं. लेकिन, हिमालय के एक खास रीजन जिसमें नेपाल से लेकर अफगानिस्तान का इलाका आता है, यहां सबसे ज्यादा भूकंप की घटनाएं सामने आती हैं. क्या आपको पता है कि क्यों हिमालय के इन खास रीजन में ही भूकंप क्यों आता है.

फाइल फोटो: जापान भूकंप (Image Credit: Reuters) फाइल फोटो: जापान भूकंप (Image Credit: Reuters)
मानसी मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

हर साल पूरी दुनिया में भूकंप की घटनाओं से भारी तबाही की खबरें सामने आती हैं. आपके पैरों के तले से जमीन खींचने वाले ये कंपन बड़ी बड़ी इमारतें उखाड़ फेंकते हैं. लेकिन, हिमालय के एक खास रीजन जिसमें नेपाल से लेकर अफगानिस्तान का इलाका आता है, यहां सबसे ज्यादा भूकंप की घटनाएं सामने आती हैं. क्या आपको पता है कि क्यों हिमालय के इन खास रीजन में ही भूकंप क्यों आता है.

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वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुसार हिमालय के इर्दगिर्द का हिस्सा इंडियन प्लेट के नाम से पहचाना जाता है. वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान है, इसकी ओर का हिस्सा यूरेशिया प्लेट के रूप में पहचाना जाता है. इन दोनों से जुड़ा तीसरा हिस्सा है अरब और अफ्रीकी प्लेट जो कई देशों से जुड़ा है. हिमालय के आसपास के इन इलाकों में अक्सर भूकंप आने की वजह ही ये होती है कि जब ये प्लेट्स एक-दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करते हैं तो ये एक दूसरे से रगड़ खाती हैं. इससे इन प्लेटों के घर्षण से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है. इसी तेज घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है. यही नहीं कई बार इलाके के आसपास की धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और इसी के चलते भूकंप आते रहते हैं.

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जानें - क्या कहती है 2012 में छपी ये रिसर्च:

-रिसर्च के मुताबिक हिमालय के सबसे मुख्य यानी केंद्रीय हिस्से में रिक्टर स्केल पर 8 से 8.5 की तीव्रता के अब तक कई भूकंप आ चुके हैं

-अब तक आए बड़े भूकंपों ने इस पूरे इलाके में गहरी दरारें पैदा कर दी हैं, खास तौर पर साल 1934 में भूकंपों ने हिमालय के आसपास का नक्शा ही बदल दिया.

-1934 में आए भूकंप ने तो सतह पर 150 किलोमीटर लंबी दरार बना दी थी, जो आज भी पूरी तरह भरी नहीं जा सकी है.

ऐसे ही भूकंपों से बना हिमालय पर्वत

वैज्ञानिकों की राय में धरती में मीलों नीचे मौजूद भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट की तरफ 45 मिलीमीटर प्रति साल की दर से खिसक रही है. इनके खिसकने से ये दोनों प्लेट्स आपस में रगड़ रही हैं. इनके इसी घर्षण का नतीजा हिमालय पर्वत का बनना रहा है. जैसे जैसे इन दोनों प्लेट्स के बीच घर्षण बढ़ा, धरती थोड़ा सा खिसकी और पर्वत बनता रहा. आज हिमालय कई देशों के लिए जीवनदायी है, लेकिन वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि अगर इन दोनों प्लेट्स के बीच घर्षण बढ़ता रहा तो आने वाले समय में यही पर्वत बड़ी तबाही की वजह भी बन सकता है.

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