
-कुल 135 किलोमीटर लंबे ईपीई पर 11,000 करोड़ रुपये की लागत आई है.
-यह देश का पहला हाईवे है जहां सौर बिजली से सड़क रोशन होगी.
-हाई-वे पर प्रत्येक 500 मीटर पर दोनों तरफ वर्षा जल संचयन की व्यवस्था होगी. साथ ही इसमें 36 राष्ट्रीय स्मारकों को प्रदर्शित किया जाएगा तथा 40 झरने होंगे.
-इस हाईवे का काम रिकॉर्ड 500 दिनों में पूरा किया गया है.
-इस एक्सप्रेस-वे पर 8 सौर संयंत्र हैं जिनकी क्षमता 4 मेगावाट है.
-प्रधानमंत्री ने पांच नवंबर 2015 को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी. हालांकि, इस हाई-वे का काम शुरू होने में थोड़ी देरी हुई थी, जिस पर पीएम मोदी ने नाराजगी भी जाहिर की थी.
-120 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से फर्राटे भर सकते हैं बल्कि बिना दिल्ली में दाखिल हुए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश का सफर भी तय कर सकते हैं.
-6 लेन के इस एक्सप्रेस-वे में 7 इंटरचेंज मौजूद हैं जिससे एक शहर से दूसरे शहर में मुसाफिर आसानी से जा सकते हैं.
-135 किमी के टुकड़े में आठ जगह हाइवे नेस्ट होंगे, जिनमें जलपान और खानपान की सुविधाएं मिलेगी.
प्रदूषण से भी मिलेगी निजात
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के शुरू होने से दिल्ली में 41 प्रतिशत तक ट्रैफिक जाम और 27 प्रतिशत तक प्रदूषण कम होने के दावे किए जा रहे हैं. इससे राजधानी दिल्ली को वाहनों के बड़े बोझ से मुक्ति मिलेगी. यही नहीं इस एक्सप्रेस-वे के खुलने से कोलकाता से सीधे जालंधर-अमृतसर और जम्मू आने-जाने वाली गाड़ियों खासकर ट्रकों को भी फायदा होगा.