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दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) को अब सेवाएं संरक्षण अधिनियम (ESMA) के दायरे में लाने की तैयारी चल रही है. 4 अक्टूबर को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम, 1922 का अध्ययन करने के लिए एक कार्यकारी समूह समिति का गठन किया गया है.
यह समिति एस्मा के तहत परीक्षा, शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन पर अध्ययन करेगी. वहीं इस अधिनियम के आने के बाद छात्र और शिक्षक को कामों में रुकावट पैदा हो सकती है. वह वो काम नहीं कर सकत हैं जिससे विश्वविद्यालयों के कामों में बाधा पैदा हों. वहीं सरल शर्तों में एस्मा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, कोई भी, चाहे वह छात्र या शिक्षक हो. यदि वह एस्मा अधिनियम धारा (VIII) का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें राज्य पुलिस किसी भी वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकती हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) के पूर्व प्रेजिडेंट डॉ आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) के आदेश पर डीयू के अधिनियम बदलने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा यदि एस्मा अधिनियम नियम लागू होता है तो पूरी तरह से दिल्ली विश्वविद्यालयों केअ अधिनियम बदल जाएगा. उन्होंने एस्मा अधिनियम को ''घातक'' बताया है. डीयू के एक प्रोफेसर के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (EC) से साथ चर्चा किए बिना मंत्रालय ने इस कदम को उठा लिया है.
MHRD आदेश के अनुसार - यूजीसी के अध्यक्ष और छह सदस्य, बीएचयू, डीयू, भोपाल लॉ विश्वविद्यालय, टीआईएसएस मुंबई, तेजपुर विश्वविद्यालय के वीसी और बीएचयू के पूर्व रजिस्ट्रार के पास निर्णय लेने की शक्ति होगी कि कैसे शिक्षण, सीखने, परीक्षा और मूल्यांकन से संबंधित निर्णय लिया जाएगा. समिति को 30 दिनों के अंदर यानी 3 नवंबर को मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपनी होगी.
वहीं इस फैसले पर शिक्षक और छात्र विरोध जा रहे हैं, क्योंकि उनका कहना है कि सरकार विश्वविद्यालयों में एस्मा कानून को लागू कर शिक्षकों के अध्यापन कार्य और परीक्षा आदि को इसके दायरे में लाना चाहती हैं और इस तरह शिक्षकों के अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता छीनने की कोशिश की जा रही है.