
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजनेता के बाद अब शिक्षक की भूमिका में नजर आए. मुखर्जी ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम-ए) में गेस्ट टीचर के तौर पर व्याख्यान दिया. बता दें कि मुखर्जी 'पब्लिक पॉलिसी फॉर इन्क्लूसिव डेवलपमेंट ऑफ इंडिया' यानी भारत के समावेशी विकास के लिए सार्वजनिक नीति नाम से कोर्स की पढ़ाई करवाएंगे. इस कोर्स के 22 सेशन होंगे, जिनमें कम से कम 12 सेशन में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को बतौर फैकल्टी हिस्सा लेना है.
वहीं संस्थान ने उनके व्याख्यान से जुड़े कंटेंट को शेयर करने से मना किया है और कहा कि 17 नवंबर को व्याख्यान सीरीज समाप्त होने के बाद एक परियोजना रिपोर्ट पेश की जाएगी. मुखर्जी आज भी व्याख्यान देंगे. इसके बाद आठ-नौ अक्टूबर और 16-17 नवम्बर को भी व्याख्यान देंगे.
आईआईएम-ए ने कहा कि अपने व्याख्यान में मुखर्जी सामाजिक-आर्थिक समावेश के लिए संवैधानिक प्रावधानों के सिद्धांत और व्यवहार को पेश करेंगे और वित्तीय समावेशन के नीतिगत पहलू पर विचार व्यक्त करेंगे. यह कोर्स पीजीपीएम (प्रोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन मैनेजमेंट), एफएबीएम ( फूड एंड एग्री-बिजनस मैनेजमेंट) और पीजीपीएक्स (प्रोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम्स इन मैनेजमेंट ऑफ एग्जीक्यूटिव्स) के स्टूडेंट्स के लिए है.
इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी आईआईएम-ए के स्टूडेंट्स को पढ़ा चुके हैं. आईआईएम-ए ने पहले बताया था, 'प्रणब मुखर्जी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें पिछले पांच दशक की भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था का बेहतरीन अनुभव है. साथ ही इन्होंने कई सार्वजनिक नीतियां भी बनाई हैं. यह पाठ्यक्रम छात्रों को इस विषय की गहरी समझ हासिल करने का एक अच्छा मौका है, क्योंकि प्रणब मुखर्जी अकेले पूरी प्रामाणिकता और विश्वास के साथ इसके बारे में बता सकते हैं.