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पुणे में स्थित बहुप्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) कल की एकेडमिक काउंसिल मीटिंग में फीस वृद्धि और उम्र सीमा को 25 तय करने के लिए बैठक करेगी. यह बैठक मुंबई शहर में होगी.
हालांकि, यह प्रस्ताव संस्थान के स्टूडेंट्स को रास नहीं आया है. उनका कहना है कि इन तौरतरीकों से प्रशासन संस्थान को फायदे के रास्ते पर ले जाते हुए कॉमर्सियल करने की फिराक में लगा है.
संस्थान के डायरेक्टर क्या कहते हैं?
इस फीस वृद्धि के पक्ष में दलील देते हुए FTII के डायरेक्टर भूपेन्द्र कायंथोला कहते हैं कि पिछले 5 वर्षों में कोई फीस वृद्धि नहीं हुई है. इसके बजाय साल 2010 में फीस 1.75 लाख (सालाना) को घटा कर 48,000 कर दिया गया था.
वे आगे कहते हैं कि आदर्श स्थिति में तो हर साल फीस में 10 फीसद की वृद्धि होनी चाहिए, हालांकि ऐसी कोई कोशिश हाल के वर्षों में नहीं हुई है. वे कहते हैं कि सीएजी (CAG) ऑडिट में भी तत्कालीन फीस स्ट्रक्चर को तर्कहीन बताया गया है. वे फिलवक्त चलने वाले कोर्सेस के लिए 3.40 लाख सालाना राशि की बात कहते हैं.
संस्थान के डायरेक्टर का कहना है कि डायरेक्शन, सिनेमैटोग्राफी , एडिटिंग और साउंड रिकॉर्डिंग जैसे स्पेशल कोर्सेस की फीस पहले 33,000 थी और बीते सालों में यह बढ़ कर 48,000 हुई है. अगर आदर्श स्थिति की ही बात करें तो 10 फीसद फीसवृद्धि के बाद फीस को 64,000 होना चाहिए था.
वे अंत में कहते हैं कि FTII ने देश के दूसरे संस्थानों जैसे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के फीस स्ट्रक्चर के अध्ययन और मिलाप के बाद ही ऐसे प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है.