Advertisement

जिसने आलू से वोदका बनाकर दुनिया को चौंकाया, आज उनका जन्मदिन है...

जिस महिला ने आलू से वोदका अल्कोहल और आटा बनाया आज उनका जन्मदिन है. गू्गल ने भी किया याद, डूडल बनाकर दिया सम्मान.

Eva Ekeblad Eva Ekeblad
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

काउंटेस ईवा एकेब्लड एक स्वीडिश महान कृषि विज्ञानी थीं, जिन्होंने आलू से स्टार्च निकालने का तरीका ढूंढ़ा था. यही नहीं आज जो आप स्टार्च फ्री बेकिंग का इस्तेमाल करते हैं, वो भी उनकी ही देन है. इसके अलावा उन्होंने वोदका, मूनशाइन और पोटैटो वाइन जैसे अल्कोहल बनाया.

एकेब्लड का जन्म 10 जुलाई 1724 को हुआ था. आज उनका 293वां जन्मदिन है, जिसे गूगल भी अपने अंदाज में सेलिब्रेट कर रहा है. गूगल ने एक कैरिकेचर बनाया है, जिसमें गूगल की स्पेलिंग आलू और उसके छिलकों से पूरी की गई है.

Advertisement

140 साल का हुआ विंबलडन, गूगल ने कुछ इस अंदाज में किया सेलिब्रेट

जानिये कौन हैं एकेब्लड

आलू के उपयोग से आटा और अल्कोहल बनाने के लिए एकेब्लड को रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज में भर्ती किया गया. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज में स्थान पाने वाली वो पहली महिला थीं.

स्वीडन में पहली बार साल 1658 में आलू आने शुरू हुए. तब लोग इसे इंसानों के खाने लायक नहीं मानते थे और जानवरों को ख‍िलाने के लिए इस्तेमाल करते थे.

जानिये, आख‍िर कौन था टारजन, जिसके नाम पर बनी कई फिल्में...

 

एकेब्लड ने आलू की खेती की और उस पर एक्सपेरिमेंट शुरू कर दिया. एकेब्लड ने ये सुना था कि जर्मनी में आलू से अल्कोहल बनाई जाती है. साल 1746 में एकेब्लड ने यह खोज किया कि जानवरों को ख‍िलाए जाने वाली इस सब्जी से आटा बनाया जा सकता है.  

Advertisement

24 साल की एकेब्लड ने अपनी खोज को रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज में जमा किया और इसके बाद उन्हें इस प्रतिष्ठ‍ित संस्थान में भर्ती कर लिया गया. इस खोज ने स्वीडेन के खाद्य संकट को खत्म करने में मदद की.

आओ सुनाएं तुम्‍हें मलाला की कहानी...

एकेब्लड ने आलू से अल्कोहल जैसे कि वोदका, मूनशाइन और पोटैटो वाइन आदि बनाया. इससे पहले लोग अनाज से अल्कोहल बनाते थे. एकेब्लड की खोज के बाद अनाज से अल्कोहल बनाने की वर्षों पुरानी प्रथा खत्म हो गई और अल्कोहल बनाने के लिए अनाजों के स्थान पर आलू का प्रयोग होने लगा.

साल 1786 में एकेब्लड का देहांत होने के बाद रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने साल 1951 तक किसी भी दूसरी महिला का चुनाव नहीं किया.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement