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'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' को लेकर सरकारी स्कूलों में चलेगा अभियान

दिल्ली सरकार की पहल पर अब बच्चे भी जानेंगे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का महत्व. बच्चे खुद बता रहे हैं बेटियों को लेकर पहले और आज की पीढ़ी की सोच में क्या अाया है फर्क.

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का महत्व जानेंंगे स्कूली बच्चे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का महत्व जानेंंगे स्कूली बच्चे
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’की भावना को बच्चों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने एक अनूठी पहल की. इसकी शुरुआत दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आज गवर्नमेंट ब्वॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, आजादपुर से की.

इसके तहत उन्होंने बच्चों से एक क्लासरूम एक्सरसाइज करवाई जिसमें बच्चों से कहा गया कि वे अपनी समझ से लिखें कि बेटियों को लेकर पहले की पीढ़ी और आज की पीढ़ी की सोच में क्या फर्क आया है. साथ ही पहले की तुलना में आज किन समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है. साथ ही क्या सुधार अब तक हुए हैं और उनकी क्या अपेक्षाएं हैं इस बारे में जिक्र करने को कहा.

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बच्चों ने इस सवाल के काफी हैरानी भरे जवाब लिखे. बच्चों कहना था कि बेटियों को हर 'सोच' से बचाओ. जैसे न पढ़ाने की सोच, नौकरी न कराने की सोच, पराये घर में भेजने की सोच और उन्हें शारीरिक रुप से कमजोर समझने की सोच.

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उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसदिया ने 'दंगल' फिल्म का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे समाज में बेटियों को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि कुछ काम केवल बेटे ही कर सकते हैं. इससे सोच से सबसे पहले मुक्ति पानी होगी और ये केवल नारों तक ही न सिमट जाए, इसके लिए पहल जरूरी है.

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