
इंग्लैंड (ग्लोस्टरशायर) के एक प्राइवेट स्कूल में हेडमास्टर के पद पर विराजमान ग्रेम व्हाइटिंग का दावा है कि हैरी पॉटर, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स, गेम ऑफ थ्रोन्स और हंगर गेम्स जैसी फिल्मों और टीवी सीरियल बच्चों के दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके बाबत उन्होंने एक लंबा ब्लॉग लिखा है.
वे कहते हैं कि इस दौर में चाहे इन कहानियों को बेहद पसंद किया जा रहा हो लेकिन यह सब-कुछ बच्चों में खराब आदत की शुरुआत है. बच्चों के अवचेतन मन पर ऐसी कहानियां गहरी छाप छोड़ती हैं और वे लंबे समय तक इन फंतासी कहानियों के प्रभाव में रहते हैं.
माता-पिता से बेहतर साहित्य पढ़वाने की गुजारिश...
वैसे यह हेडमास्टर साहब अभी भी पुराने तौर-तरीके से सोचने को जायज ठहराते हैं और शेक्सपियर, वर्ड्सवर्थ और कीट्स की कहानी-कविताओं को इनसे बेहतर बताते हैं. उनका कहना है कि ऐसी कहानियां आपकी सोच के दायरे को बढ़ाने के साथ ही आपकी कल्पनाओं के घोड़ों को उड़ान देती हैं और आपको कुछ करने के लिए प्रेरित करती हैं.
जहां तक हैरी पॉटर जैसी कहानियों की बात है तो उनके अनुसार ये सभी शैतानी साहित्य का हिस्सा हैं और कुछ देर का मनोरंजन देने के अलावा ये फायदे की बजाय नुकसान ही करती हैं.
यही नहीं, इस मामले में उन्होंने पेरेंट्स को चेताया है कि वे समय रहते शब्दों में छिपे शैतान को जान लें, वरना बाद में जादू, भूत-प्रेत आदि के प्रभाव में आए बच्चों को व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.