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मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आधार कार्ड के जरिए देश के विभिन्न कालेजों और यूनिवर्सिटीज में करीब 80 हजार ऐसे शिक्षकों की पहचान की है, जिनका कोई वजूद ही नहीं है. हालांकि मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर का कहना है कि इनमें से कोई भी शिक्षक किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय से नहीं है.
जावडेकर ने यह भी कहा कि कुछ ऐसे फर्जी शिक्षक हैं जो प्रोक्सी उपस्थिति का तरीका अपनाते हैं और कई जगहों पर पूर्णकालिक पढ़ा रहे हैं. आधार शुरू होने के बाद, ऐसे 80 हजार शिक्षकों की पहचान हुई है और उनके खिलाफ कार्रवाई पर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि किसी केंद्रीय विविद्यालय में फर्जी शिक्षकों की पहचान नहीं हुई है, लेकिन कुछ राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों के ऐसे शिक्षक हैं.
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मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों से सभी कर्मचारियों और छात्रों से आधार संख्या मांगने के लिए कहा है, ताकि डुप्लीकेशन नहीं हो. हालांकि डेटा लीक होने के बारे में चिंता जताई गई है. रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक, 85 प्रतिशत टीचर्स ने अपने आधार नंबर दिए हैं और मंत्रालय का मानना है कि फर्जी टीचर्स की तादाद और बढ़ सकती है.
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वहीं आधार कार्ड के डेटा लीक होने के बारे में जताई जा रही चिंता को लेकर जावडेकर ने कहा कि आधार नंबर शेयर करना आपके मोबाइल नंबर और ईमेल शेयर करने की तरह ही है. अगर आप अपने मोबाइल नंबर को शेयर करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपका मेसेज देख सकता है. आधार भी उसी तरह से काम करता है.यह सुरक्षित है.