
वैसे तो देश के अधिकांश आईआईटी और खास तौर पर आईआईटी बॉम्बे हमेशा कुछ-न-कुछ ऐसा करते रहते हैं जो खबरों में रहता है, लेकिन इस बीच जो उन्होंने कर दिखाया है वह उन्हें भीड़ से अलग खड़ा करता है. इस बीच उन्होंने एक इलेक्ट्रिक कार बनाई है. इस रेसिंग कार का नाम ओर्का (Orca) है.
इस टीम ने यह 5वीं कार तैयार की है जिसे इंग्लैंड के सिल्वरस्टोन में होने वाले कंपटीशन में पार्टिसिपेट करने का मौका मिला है. इस कार की टॉप स्पीड 154 किमी/प्रति घंटे है और यह 4 सेकेंड से भी कम में 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है.
आईआईटी बॉम्बे रेसिंग को करीब आठ साल पहले आठ स्टूडेंट्स की एक टीम ने शुरू किया था. उन्होंने एक कार बनाई और अंतर कॉलेज प्रतियोगिता में भाग लेने लगे. शुरुआत में तो वे सफल नहीं रहे लेकिन 5 साल पहले वे इंदौर में बाजा सीरीज में विजयी रहे. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिस्सा लेने लगे.
टीम में 75 स्टूडेंट्स हैं शामिल...
वर्तमान में इस टीम में कुल 75 रेसिंग में इंटरेस्ट लेने वाले स्टूडेंट्स शामिल हैं और इसकी अगुआई रौशभ कपासी कर रहे हैं. वे इंजीनियरिंग फिजिक्स में चौथे वर्ष के स्टूडेंट हैं. इसमें आईआईटी के तीसरे और दूसरे वर्ष के स्टूडेंट भी बराबर के साझेदार हैं. मैकेनिकल डिपार्टमेंट में दूसरे साल के स्टूडेंट चिन्मय माहेश्वरी ने बताया कि एक बार अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित करने के बाद उनकी दिक्कतें कम होती चली गईं.
सबको बांटी गई हैं अलग-अलग जिम्मेदारियां...
टीम को मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और ऑर्गनाइजेशनल लेवल पर जिम्मेदारियां बांटी गई हैं. इस टीम के लिए काम करने वाले 75 स्टूडेंट अलग-अलग विभागों से ताल्लुक रखते हैं. वे पढ़ाई को इन सारे कामों के आड़े नहीं आने देते. इस टीम के अहम सदस्य माहेश्वरी कहते हैं कि इस रेसिंग के बाबत 180 पेज की एक रूल बुक है. हालांकि वे दुनिया की दूसरी टीमों से फंड के मामले में कई बार पिछड़ जाते हैं और इसके लिए उन्हें कई बार अपनी जेब से भी पैसे खर्च करने पड़ जाते हैं.
रोज की क्लासेस करने के साथ-साथ इस टीम के सदस्य वीकेंड में भी समय निकाल कर साथ काम करते हैं. माहेश्वरी कहते हैं कि साइड से देखने पर यह कार समंदर से बाहर आने वाली किसी मछली जैसी दिखती है. इसी वजह से इसे ओर्का नाम दिया है.