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भारत के लिए एक बड़ी ही मशहूर कहावत है, कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी. यानी भारत में हर चार कोस पर भाषा बदल जाती है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में कितनी भाषाएं बोली जाती होंगी.
21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है. यानी अपनी जबान का सम्मान करने के दिन के रूप में इसे दुनियाभर के लिए मनाते हैं.
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दरअसल, यह अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस ढाका विश्वविद्यालय के उन छात्रों को समर्पित है, जो बांग्ला भाषाओं को मान्यता देने की लड़ाई में मार दिए गए थे.
दुनियाभर में बोली जाने वाली 25 फीसदी भाषाएं ऐसी हैं, जिन्हें 1000 से भी कम लोग बोलना जानते हैं.
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भारत में कितनी भाषाएं
साल 1961 की जनगणना के अनुसार भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं. हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में फिलहाल 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार
अलग-अलग है.
- 234 मातृभाषाएं 10,000 से ज्यादा लोग बोलते हैं.
- 42.2 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है, यानी दुनिया में करीब 4.46 प्रतिशत लोग सिर्फ हिंदी बोलते हैं.
- 63.8 करोड़ लोगों की मातृभाषाएं अन्य हैं.
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मिट गया कई भाषाओं का अस्तित्व
हाल ही में गैर सरकारी संगठन भाषा ट्रस्ट के संस्थापक और लेखक गणेश डेवी ने गहन शोध के बाद के रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन्होंने बताया कि शहरीकरण और प्रवास की
भागमभाग में करीब 230 भाषाओं का नामो निशान मिट गया है. 'कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी' जैसी पहचान वाला देश भारत सिर्फ इन भाषाओं को ही नहीं खो
रहा है, बल्कि इनके साथ जुड़ी अपनी पहचान से भी दूर होता जा रहा है.
यही नहीं दुनियाभर में ऐसी 2500 से भाषाएं हैं जो खत्म होने की कगार पर पहुंच गई हैं.