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JNU में छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न के 151 मामले आए सामने, किसी के साथ फ्रेशर पार्टी में तो किसी को प्रोफेसर ने...

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 2017 से अब तक यौन शोषण के 151 मामले सामने आए हैं। इन मामलों में से 98% का निपटारा किया गया, जबकि 3 मामले अब भी लंबित हैं। GSCASH की जगह ICC लाने पर विवाद बना हुआ है। हालिया घटनाओं और शिकायतों के कारण ICC की कार्यशैली और उसकी पारदर्शिता पर सवाल उठाए जा रहे हैं

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 29 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:37 PM IST

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में 2017 से अब तक यौन शोषण से संबंधित 151 शिकायतें दर्ज की गई हैं. ये जानकारी एक आरटीआई के जरिए सामने आई है. वहीं, यूनिवर्सिटी का दावा है कि इनमें से लगभग 98% शिकायतों को सुलझा लिया गया है और फिलहाल केवल तीन मामले लंबित हैं.

हालांकि शिकायतों की प्रकृति और दोषियों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देने से विश्वविद्यालय ने गोपनीयता का हवाला देते हुए इनकार कर दिया.

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2017 से अब तक यौन शोषण की 151 शिकायतें दर्ज 

बता दें, साल 2017 में JNU में जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरासमेंट (GSCASH) को खत्म कर उसकी जगह इंटरनल कंप्लेंट्स कमेटी (ICC) बनाई गई थी. इस फैसले को लेकर छात्रों और शिक्षकों ने लगातार विरोध किया है. उनका कहना है कि ICC में पारदर्शिता और स्वायत्तता की कमी है और यह प्रशासन के प्रभाव में काम करती है.

साल 2018-19 में सबसे ज्यादा 63 शिकायतें दर्ज हुईं. इसके पहले 2016 में GSCASH के तहत 38 शिकायतें दर्ज की गई थीं. कोविड-19 महामारी के दौरान 2019-21 में केवल 6 मामले सामने आए, जबकि 2022-23 और 2023-24 में 30-30 शिकायतें दर्ज की गईं.

अप्रैल में एक छात्रा ने यौन शोषण के मामले में प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ 12 दिनों तक अनिश्चितकालीन धरना दिया. इसके लिए छात्रा और उसके समर्थकों पर विश्वविद्यालय ने जुर्माना लगाया.

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फ्रेशर्स पार्टी के दौरान 47 छात्राओं ने दर्ज कराईं शिकायतें 

अक्टूबर में फ्रेशर्स पार्टी के दौरान 47 छात्राओं ने यौन शोषण और हिंसा की शिकायत दर्ज कराई. इसी तरह अप्रैल में एक छात्रा ने प्रोफेसर पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए परिसर छोड़ने की बात कही थी. इन घटनाओं ने ICC की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और छात्रों के बीच व्यापक विरोध प्रदर्शन का कारण बनी हैं.

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