
झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है. छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी गयी है. इससे 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अवैध घोषित हो गयी है. कोर्ट ने आठ सप्ताह में फ्रेस मेरिट लिस्ट निकालने का आदेश दिया है. जेपीएससी परीक्षा परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी ने अपना फैसला सुनाया.
अदालत ने इस पर कई याचिकाओं को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता राहुल कुमार एवं अन्य दर्जनों याचिका पर पूर्व में सुनवाई पूरी करते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया गया था. उसी आदेश को आज सुनाया गया है.
छठी जेपीएससी मामले में हाई कोर्ट ने सुनवाई में दो याचिका को स्वीकृत किया है जिसमें कोर्ट ने न्यूनतम अंक वाली सुमित कुमार की समेत कई लोगों की याचिका स्वीकृत किया है. इसको लेकर कोर्ट ने JPSC को फिर से निर्देश दिया है कि न्यूनतम अंक (मिनिमय मार्जिन) को लेकर पहले जारी रिजल्ट को दोबारा पब्लिश किया जाए.
बता दें कि साल 2016 में आखिरी बार जेपीएससी का एग्जाम हुआ था. कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फरवरी में कहा था कि पिछले 20 सालों से राज्य उल्टा पांव चल रहा था, ना राह ना मंजिल बस चलते जाना है यही हाल था. हम राह भी बना रहे हैं और मंजिल भी सुनिश्चित कर रहे हैं. हेमंत सोरेन ने कहा कि जेपीएससी को पहली बार उसकी नियमावली मिली है.
JPSC के बारे में जानें
बता दें कि झारखंड राज्य 15 नवंबर, 2000 को बिहार के 18 जिलों को जोड़कर अस्तित्व में आया. झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC)का गठन झारखंड के गवर्नर द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 315 के प्रावधानों के तहत किया गया था.
झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) राज्य में सरकारी पदों के लिए भर्ती करने के लिए एक आयोग को पूरी तरह से जिम्मेदारी देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था. झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) का मुख्य उद्देश्य राज्य में किसी भी सरकारी पदों के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित करना है. लेकिन 2016 के बाद से अब सातवीं बार जेपीएससी का एग्जाम हुआ था.