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विधवा विवाह के समर्थक ज्योतिबा फुले ने 21 साल में पास की थी 7वीं कक्षा

ज्योतिराव गोविंदराव फुले की आज पुण्यतिथि है और 28 नवंबर 1890 को उनका देहांत हुआ था. 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे. उनको महात्मा फुले एवं ज्योतिबा फुले के नाम से जाना जाता है.

ज्योतिबा फुले ज्योतिबा फुले
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST

ज्योतिराव गोविंदराव फुले की आज पुण्यतिथि है और 28 नवंबर 1890 को उनका देहांत हुआ था. 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे. उनको महात्मा फुले एवं ज्योतिबा फुले के नाम से जाना जाता है. जाने-माने सुधारक और दलित एवं महिला उत्‍थान के लिए जीवन न्‍योछावर करने वाले ज्योतिबा फुले भी एक ऐसी ही किंवदंती का नाम है. जानिए- उनके जीवन से जुड़ी कई अहम बातें...

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- उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था. इसलिए माली के काम में लगे ये लोग 'फुले' के नाम से जाने जाते थे.

- ज्योतिबा ने कुछ समय तक मराठी में अध्ययन किया, बीच में पढ़ाई छूट गई और बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की.

राह दिखाने वाली ज्‍योति थे ज्‍योतिबा फुले...

- मराठी समाजसेवी ज्योतिबा फुले ने निचली जातियों के लिए 'दलित' शब्द को गढ़ने का काम किया था.

- साल 1873 के सितंबर माह में उन्होंने 'सत्य शोधक समाज' नामक संगठन का गठन किया था.

- वे बाल-विवाह के मुखर विरोधी और विधवा-विवाह के पुरजोर समर्थक थे.

- ज्योतिबा फुले ने ब्राम्हणवाद को धता बताते हुए बिना किसी ब्राम्हण-पुरोहित के विवाह-संस्कार शुरू कराया और बाद में इसे मुंबई हाईकोर्ट से मान्यता भी दिलाई.

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देश का पहला क्रांतिकारी, जिससे थर-थर कांपते थे अंग्रेज

- उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले भी एक समाजसेविका थीं. उन्हें भारत की पहली महिला अध्यापिका और नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता कहा जाता है.

- अपनी पत्नी के साथ मिल कर उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए साल 1848 में एक स्कूल भी खोला था. यह भारत में अपने तरह का अलहदा और पहला मामला था.

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