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वर्धा में खुलेगा देश का पहला 'कारीगर विश्वविद्यालय'

देश में पहली बार कुम्हारी, बढ़ईगिरी और लुहारी की शिक्षा देने के लिए कारीगर विश्वविद्यालय खोला जाएगा. इसकी स्थापना महात्मा गांधी की कर्मस्थली महाराष्ट्र के वर्धा में जल्द ही होगी.

Sevagram, Wardha Sevagram, Wardha
स्नेहा/IANS
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

देश के पहले 'कारीगर विश्वविद्यालय' की योजना तैयार कर ली गई है, जिसमें कुम्हारी, बढ़ईगिरी और लुहारी की शिक्षा दी जाएगी. यह विश्वविद्यालय महात्मा गांधी की कर्मस्थली रह चके महाराष्ट्र के वर्धा में जल्द ही स्थापित किया जाएगा.

महाराष्ट्र सरकार और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस विश्वविद्यालय के गठन के लिए जल्द ही कदम उठाएगी. इससे प्रधानमंत्री के कौशल विकास मिशन को बढ़ावा मिलेगा.

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'हालांकि यह आधुनिक शिक्षा के कौशल विकास की तरह नहीं होगा. यह सफेदपोश नौकरियों और कंप्यूटर से अलग एक ग्रामीण कुम्हार या पड़ोस के लुहार के कौशल को बढ़ानेवाला होगा. अब समय आ गया है कि इस तरह के काम करनेवालों को प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें सम्मान दिया जाए.'

भाजपा नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस संबध में हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मुंबई में एक बैठक की थी.

एक सूत्र ने बताया, 'वास्तव में मुख्यमंत्री को एक विस्तृत परियोजना रपट सौंपी गई, जिसमें उन्होंने रुचि जाहिर की है. अब यह मामला राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से केंद्र सरकार के समक्ष रखा जाएगा.' इस प्रस्तावित विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण लेकिन लो प्रोफाइल वाले व्यवसायों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके वर्धा के सेवाग्राम में बनाने की संभावना है.

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यह परियोजना वर्धा और महात्मा गांधी से जुड़ी हुई है. सेवाग्राम और वर्धा गांधी जी के जीवन में काफी महत्वपूर्ण रहे हैं. महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर गांधी ने कई फैसले सेवाग्राम में ही लिए थे. अप्रैल 1936 में गांधी जी ने वर्धा के नजदीक एक गांव में अपना आवास बनाया था, जिसका नाम बदल कर सेवाग्राम कर दिया गया है. इसका मतलब है सेवा करनेवालों का गांव. इस साल सेवाग्राम की स्थापना का 80वां साल पूरा हो रहा है.

भाजपा नेता ने कहा, 'इस विश्वविद्यालय के बनाने का विचार इसलिए आया कि अकेले कृषि के बूते ग्रामीण इलाकों में रोजगार संभव नहीं है. दूसरे तरीकों से कमाई बढ़ाने के लिए लोगों में कौशल विकसित किया जाएगा. देश में व्हाईट कॉलर नौकरियों का बढ़ता क्रेज हमें कहीं नहीं ले जा रहा है.' कौशल विकास का केंद्रीय मंत्रालय योग्यता आधारित नौकरियों को कौशल आधारित बनाने की दिशा में काम कर रहा है.

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