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शास्त्रीय संगीत का सितारा थीं 'ठुमरी की रानी' गिरिजा देवी

आज मशहूर ठुमरी गायिका गिरिजा देवी का जन्मदिवस है. ठुमरी की रानी के नाम से मशहूर गिरिजा संगीत की दुनिया का जाना-माना चेहरा थीं. आज ही के दिन साल 1929 में बनारस में उनका जन्म हुआ था.

गिरिजा देवी गिरिजा देवी
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:07 AM IST

आज मशहूर ठुमरी गायिका गिरिजा देवी का जन्मदिवस है. ठुमरी की रानी के नाम से मशहूर गिरिजा संगीत की दुनिया का जाना-माना चेहरा थीं. आज ही के दिन साल 1929 में बनारस में उनका जन्म हुआ था. उनके चाहने वाले उन्हें प्यार से अप्पा जी कहकर बुलाते थे. उनके जन्मदिवस पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कई बातें...

- गिरिजा ने 5 साल की उम्र में सारंगी वादक सरजू प्रसाद मिश्रा से ख्याल और टप्पा गाना सीखा था. उन्होंने 9 साल की उम्र में फिल्म 'याद रहे' में काम किया.

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- उन्होंने साल 1949 में ऑल इंडिया रेडियो, इलाहाबाद से संगीत की दुनिया में पब्लिक डेब्यू किया. हालांकि उनके लिए अपने संगीत को दुनिया तक पहुंचाना आसान नहीं था और उन्हें अपनी मां और दादी की आलोचना झेलनी पड़ी. उनका मानना था कि अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोगों के सामने परफॉर्म नहीं करते. घर में विरोध का सामना कर रही गिरिजा ने फैसला लिया कि वह दूसरों के लिए परफॉर्म नहीं करेंगी. लेकिन उन्होंने साल 1951 में बिहार में पहला पब्लिक कॉन्सर्ट किया.

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- गिरिजा 1980 में आईटीसी संगीत रिसर्च अकेडमी कोलकाता की और 1990 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की फैकल्टी मेंबर बनीं. उन्होंने स्टूडेंट्स को संगीत से जुड़ी जानकारी दी. गिरिजा ने 2009 में कई संगीत से जुड़े टूर किए. गिरिजा देवी बनारस घराने से गाती थीं और पूरबी आंग ठुमरी शैली परंपरा का प्रदर्शन करती थीं.

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- बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी को शास्त्रीय संगीत के साथ ही ठुमरी गाने में भी महारथ हासिल थी. गिरिजा ने अर्द्ध शास्त्रीय शैलियों जैसे कजरी, होली, चैती को अलग मुकाम दिया. वह ख्याल, भारतीय लोक संगीत और टप्पा भी बहुत ही शानदार तरीके से गाती थीं.

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- वह संगीत से जुड़े हर सम्मान से पुरस्कृत की गई थीं. 1972 में गिरिजा देवी को पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. 1989 में उन्हें पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, अकादमी फेलोशिप, यश भारती समेत कई पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया जा चुका था.

- पिछले साल ‎24 अक्टूबर को कलकत्ता में उनका निधन हो गया.

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