Advertisement

सड़क पर रहने वाले ये बच्चे अपना अखबार निकालते हैं, नाम है 'बालकनामा'

क्या यह संभव है कि आप सड़कों पर रातें गुजारते हों, आपके पास खाने के लिए दो जून की रोटी तक न हो और आप अपने अदम्य इच्छाशक्ति के बलबूते एक अखबार निकाल लेें. और ऐसा कर दिखाया है सड़क पर रहने वाले छोटे बच्चों ने...

Street Children, Tabloid Street Children, Tabloid
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 4:41 PM IST

वो कहते हैं न कि कई चीजों पर आपका कोई जोर नहीं चलता. इन चीजों में आपका किसी जाति, धर्म या सम्प्रदाय में जन्म लेना भी शामिल है, लेकिन अपने लगन और मेहनत के दम पर लोग अपनी नियति को भी बदल डालते हैं.

यहां हम आपको ऐसे ही बच्चों के बारे में बताने जा रहे हैं जो दिल्ली के सड़कों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने के बावजूद अपना अखबार निकाल रहे हैं.

Advertisement

बालकनामा नाम है अखबार का...
5 साल से 20 साल के बच्चों की रिपोर्टिंग और लेखन के दम पर निकलने वाले इस अखबार का नाम बालकनामा है. यह अखबार हिन्दी के अलावा अंग्रेजी में भी छपता है. यह एक टैबलॉयड साइज का न्यूजपेपर है और इस न्यूजपेपर के लिए काम करने वाले अधिकांश रिपोर्टरों ने इस अखबार से जुड़ने के बाद पढ़ना-लिखना शुरू किया है.

गैर सरकारी संगठनों से है जुड़ाव...
इस अखबार से जुड़े अधिकांश रिपोर्टर किन्हीं गैर सरकारी संगठनों से जुड़े हैं. महीने में एक बार छपने वाले इस न्यूजपेपर की कीमत महज 2 रुपये रखी गई है और अकेले दिल्ली में इसकी कुल 8000 प्रतियां बिक जाती हैं. इनमें से अधिकतर अखबार पुलिस स्टेशनों और गैर सरकारी संगठनों को जाते हैं. यह अखबार बिना किसी फायदे वाले मॉडल पर चलता है.

Advertisement

बच्चे ही एडिटर हैं और बच्चे ही रिपोर्टर...
इस अखबार की एडिटर चांदनी नामक लड़की है और उसकी उम्र महज 18 साल है. इस अखबार के लिए काम करने वाले रिपोर्टरों की संख्या 60 है और वे मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों से ताल्लुकात रखते हैं. ये सारे रिपोर्टर पूरे दिल-ओ-जान से लग कर इस अखबार को निकलवाने के लिए काम करते हैं और कई बार उनकी खबरों के फ्रंट पेज पर जगह न मिलने की वजह से मायूस भी हो जाते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement