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26 हजार कुष्ठ रोगियों का जीवन संवार चुके हैं दामोदर, ऐसे करते हैं मदद

छत्तीसगढ़ के रहने वाले समाज सेवी दामोदर गणेश बापट ने अपना जीवन समाज सेवा के नाम कर दी. गणेश बापट कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के दर्द पर प्यार का मरहम लगाते हैं और उन्होंने उनके लिए कई सराहनीय कार्य किए हैं.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 04 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 8:25 PM IST

छत्तीसगढ़ के रहने वाले समाज सेवी दामोदर गणेश बापट ने अपना जीवन समाज सेवा के नाम कर दिया. गणेश बापट कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के दर्द पर प्यार का मरहम लगाते हैं और उन्होंने उनके लिए कई सराहनीय कार्य किए हैं. उनके इस काम को देखते हुए भारत सरकार ने नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया है. वे छत्तीसगढ़ के चांपा से आठ किलोमीटर दूर ग्राम सोठी में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में कुष्ठ रोगियों की सेवा करते हैं.

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बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता गणेश बापट न सिर्फ मरीजों के साथ रहते हैं बल्कि उनके हाथ का पकाया खाना भी खाते हैं. मरीजों के साथ खाना-पीना साझा कर उनका दर्द भी साझा कर लेते हैं और जागरूकता भी फैलाते हैं. कहा जाता है कि बापट ने 26 हजार मरीजों की जिंदगी में रोशनी भरी है. 

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उन्होंने नागपुर से पढ़ाई की और अपने पिता के देहांत के बाद नौकरी ढू्ंढने की कोशिश की. उन्होंने टीचर के रुप में अपने करियर की शुरुआत की और वो आदिवासी इलाकों में बच्चों को पढ़ाते थे. इस दौरान वो बीकेएनएस जाते थे जहां मरीजों से मिलते थे.

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बता दें कि इस कुष्ठ आश्रम की स्थापना साल 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे ने की थी, जहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता गणेश बापट सन 1972 में पहुंचे और कात्रे जी के साथ मिलकर उन्होंने कुष्ठ पीड़ितों के इलाज और उनके सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास के लिए सेवा के अनेक कार्यक्रमों की शुरुआत की.

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