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मिलिए- मणिपुर के इस शख्स से, अकेले 300 एकड़ में तैयार किया हरा-भरा जंगल

जंगल को देखा वीरान तो मणिपुर के इस शख्स ने किया दृढ़ संकल्प... 17 साल में 300 एकड़ में तैयार कर दिया हरा भरा जंगल... पढ़ें इस शख्स की कहानी

मोइरंग लोइया (फोटो- ANI) मोइरंग लोइया (फोटो- ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST

जंगल नहीं बचेंगे तो सांस कैसे लोगे. पेड़- पौधे कितने जरूरी है ये हम और आप बखूबी जानते हैं, लेकिन इनके बारे में बहुत ही कम लोग सोचते हैं. उन्हीं कम लोगों में से आते हैं मणिपुर के मोइरंग लोइया. जिन्होंने पिछले 17 सालों में देखते-देखते एक तमाम तरीके के पेड़-पौधों से घिरा हुआ जंगल तैयार कर दिया है. आइए जानते हैं इस शख्स के बार मे... 

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मोइरंग लोइया का कहना है कि आज पूरी दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग और दूषित होते पर्यावरण की समस्या से जूझ रही है. जिसका नुकसान आने वाली पीढ़ी को उठाना पड़ सकता है.

पिछले 17 सालों से मणिपुर में इम्फाल पश्चिम के रहने वाले लोहिया प्रकृति की रक्षा कर रहे हैं और  वनों की कटाई का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने जंगल को फिर से हरा-भरा बनाने की जिम्मेदारी उठाई. जंगल का नाम उन्होंने पुन्शिलोक दिया है.  जिसका अर्थ है 'जीवन का वसंत'.

उन्हें प्रकृति से बेहद प्रेम है और इसी प्रेम के कारण उन्होंने 300 एकड़ के क्षेत्रफल में घना जंगल उगा दिया. वे बताते हैं कि इस विशाल वनक्षेत्र में पौधों की 250 से अधिक प्रजातियां हैं. उन्होंने कहा कि यहां केवल बांस की 25 प्रजातियां हैं उन्होंने कहा कि यहां बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार के पक्षी, सांप और जंगली जानवर रहते हैं.

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कैसे आया जंगल बनाने का ख्याल

बचपन में लोइया 'मारू लंगोल हिल रेंज' में बने कोबरू पीक घूमने जाया करते थे. लेकिन जब साल  2000 में फिर से जंगल देखने लौटे तो उन्हें यकीन नहीं हुआ. उनकी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ जब उन्होंने देखा कि एक बार हरे जंगल को जला दिया गया था.देखने में एक भी पेड़ नहीं था और स्थानीय लोग वहां  चावल की खेती कर रहे थे.

यहीं वो पल था मोइरंग लोइया ने हरियाली को वापस लाने के लिए दृढ़ संकल्प किया. जिसके बाद उन्होंने 2002 में पेड़ लगाने के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी. उनकी खोज उन्हें 'मारू लंगोल हिल रेंज' ले गई. जिसके बाद उन्होंने मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के पद से नौकरी छोड़ दी और जंगल बनाने की तैयारी शुरू कर दी.

जिसके बाद उन्होंने कुछ कपड़े और खाना पैक किया और एक छोटी से झोपड़ी में रहने लगे जो खुद बनाई थी. वह 6 साल तक वहां रहे.  अकेले मेहनत करते और कई प्रजातियों के पौछे लगाए और उनकी सेवा की.

मणिपुर के वन संरक्षक के प्रधान प्रमुख ने मोइरंग लोइया की काम की सराहना की  है. उन्होंने कहा  हम उन सभी का स्वागत करते हैं जो पर्यावरण की रक्षा करते हैं और जंगल को हर भरा करने में लगे हुए हैं. हम अन्य लोगों को भी वनों के संरक्षण और जंगल की रक्षा करने के लिए उनसे प्रेरेणा लेना चाहिए, साथ ही लोगों प्रोत्साहित करना चाहिए.

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