
यूपी के एक गांव के प्राइमरी स्कूल में एक छात्र ने ही अपने क्लास के दूसरे छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले ली, जब उस स्कूल के एक मात्र शिक्षक छुट्टी पर थे. क्लास 1 के एक छात्र को अपने सहपाठियों को मैथ्स पढ़ाते हुए देखा गया. एक अखबार से बातचीत के दौरान क्लास 5 के एक छात्र ने बताया, 'जब भी टीचर नहीं आते, मुझे ही क्लास को संभालना पड़ता है. साथ ही मुझे स्टूडेंट्स का अनुशासन भी देखना पड़ता है.'
प्राइमरी स्कूल की खराब हालत:
- यूपी में करीब 15,843 सरकारी प्राइमरी स्कूल्स हैं. जिनमें से अधिकतर स्कूलों में एक ही टीचर हैं.
- एक ही टीचर को सभी ग्रेड के क्लासों को लेना पड़ता है, जिनसे उन्हें थकान हो जाती है.
- लखनऊ के 1,840 सरकारी प्राइमरी स्कूलों में से 35 स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं.
- शिक्षक की अनुपस्थिती में स्कूल की जिम्मेदारी छात्रों को दे दी जाती है.
- डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी के 53 प्रतिशत छात्र प्राइवेट स्कूल जाते हैं.
- बहुत से स्कूल टीचर अपनी मनचाही पोस्टिंग के लिए घूस देते हैं इसलिए सभी जगहों पर शिक्षकों की संख्या एक जैसी नहीं होती.
- सरकारी स्कूलों में अच्छी व्यवस्था ना होने के कारण बहुत से छात्र प्राइवेट स्कूलों में जाना पसंद करते हैं.
- राइट टू एजुकेशन को बढ़ावा देने वालीं समीना बानो का कहना है, 'सरकारी स्कूल अब शिक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ी सर्विस प्रोवाइडर भी नहीं है.'
समीना ने एक अखबार से कहा, 'लोगों को यह गलतफहमी है कि यूपी के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. राज्य में करीब 6 लाख रेगुलर टीचर्स हैं. समस्या यह है कि सभी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या एक जैसी नहीं है. कहीं शिक्षक ज्यादा हैं तो छात्र कम हैं, तो कहीं 100 छात्रों पर एक टीचर हैं.