
लंबे वक्त तक पाकिस्तान की जेल में कैद रहे भारतीय सरबजीत सिंह का निधन साल 2013 में 2 मई को हुआ था. पाकिस्तान की जालसाजी की वजह से मारे गए सरबजीत सिंह को हम श्रद्धांजजि अर्पित करते हैं.
पाकिस्तान ने साल 1991 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों के बाद सरबजीत को आतंकवाद और जासूसी के इल्जाम में सजा ए मौत दी. पर सजा से पहले ही अप्रैल
2013 में कुछ कैदियों ने सरबजीत पर हमला कर दिया था और 5 दिन बाद अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया.
अनजाने में पाकिस्तानी सीमा पर पहुंचा था सरबजीत...
सरबजीत सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव का रहने वाला किसान था. 30 अगस्त 1990 को वह अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गया था. यहां उसे पाकिस्तान आर्मी ने गिरफ्तार कर लिया.
लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाके का आरोपी बनाकर सरबजीत सिंह को जेल में बंद कर दिया गया. इस बम हमले में 14 लोगों की जान गई थी. 1991 में बम धमाके आरोप में सरबजीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई.
पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत को मंजीत सिंह मान लिया और एंटी टेररिज्म कोर्ट ने 15 सितंबर 1991 को उसे मंजीत सिंह के नाम पर सजा-ए-मौत सुनाई.
सरबजीत का बदला! जम्मू में पाक कैदी को पीटा
सरबजीत सिंह ने पाकिस्तान राष्ट्रपति के सामने पांच बार दया याचिका लगाई, लेकिन इन याचिकाओं पर फैसला नहीं हो सका.
सरबजीत के परिवार में बहन दलबीर, पत्नी सुखप्रीत कौर और दो बेटियां स्वप्न और पूनम कौर हैं. सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने भी अपने भाई की रिहाई के लिए सारी कोशिशें की.
सरबजीत सिंह पर लाहौर की कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला कर दिया था, इसके बाद पाकिस्तान ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया.
सरबजीत की दास्तान पर फिल्म डायरेक्टर ओमांग तोमर फिल्म बना रहे हैं, जिसमें रणदीप हुड्डा समेत ऐश्वर्या राय ने काम किया है.
सरबजीत पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में रहते हुए भारत में भेजी अपनी चिट्ठी में लिखा थाः
'मुझे पिछले दो तीन महीनों से खाने में कुछ मिलाकर दिया जा रहा है. इसे खाने से मेरा शरीर गलता जा रहा है. मेरे बाएं हाथ में बहुत दर्द हो रहा है और दाहिना पैर लगातार
कमजोर होता जा रहा है. खाना जहर जैसा है. इसे ना तो खाना संभव है, ना खाने के बाद पचाना संभव है'.
सरबजीत सिंह की मौत का जिम्मेदार कौन?
सरबजीत ने चिट्ठी तब लिखी थी जब लाहौर के कोट लखपत जेल में दर्द बर्दाश्त से बाहर हो गया था. लेकिन जेल अफसरों का कसाई से भी बदतर व्यवहार जारी था.
सरबजीत ने जेल में धीमा जहर देने की आशंका जताते हुए लिखा था कि 'जब भी मेरा दर्द बर्दाश्त से बाहर होता है और मैं जेल अधिकारियों से दर्द की दवा मांगता हूं तो मेरा मजाक उड़ाया जाता है. मुझे पागल ठहराने की पूरी कोशिश की जाती है. मुझे एकांत कोठरी में डाल दिया गया है और मेरे लिए रिहाई का एक दिन भी इंतजार करना मुश्किल हो गया है'.
सरबजीत की चिट्ठी के हर एक लफ्ज ने भिखीविंड के लोगों का कलेजा चाक कर दिया. खुद को बेगुनाह बताते हुए सरबजीत ने लिखा कि 'मैं एक बहुत ही गरीब किसान हूं और मेरी गिरफ्तारी गलत पहचान की वजह से की गई है. 28 अगस्त 1990 की रात मैं बुरी तरह शराब के नशे में धुत था और चलता हुआ बॉर्डर से आगे निकल गया. मैं जब बॉर्डर पर पकड़ा गया तो मुझे बेरहमी से पीटा गया. मैं इतना भी नहीं देख सकता था कि मुझे कौन मार रहा है. मुझे चेन में बांध दिया गया और आंखों पर पट्टी बांध दी गई'. सरबजीत पर पाकिस्तान की जेल में जुल्म होता रहा और कोर्ट में सारी शिकायतें नजरअंदाज की जाती रही.
'पाकिस्तान की पुलिस और अदालत नर्क से भी बदतर हैं. वो मुझसे कबूल कराना चाहते हैं कि मैं सरबजीत सिंह नहीं मंजीत सिंह हूं. यहां के सारे जांच अधिकारी मानकर बैठे हैं कि पंजाब प्रांत में हुए धमाके के पीछे मैं ही हूं'.
सरबजीत पर बनी फिल्म 2016 में 20 मई को रिलीज हुई, जिसमें रणदीप हुड्डा ने उनका किरदार निभाया. सरबजीत सिंह पर जल में हमले के बाद जम्मू जेल में बंद एक पाकिस्तानी कैदी पर हमला हुआ, जिसने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया.