
Republic Day 2019: 26 जनवरी 2019 को पूरा देश 70वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. जहां देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजपथ पर तिरंगा फहराएंगे. जब देश की बात आती है तब सबकुछ भूलकर पूरा देश राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के तीन रंगों में रंग जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के तिरंगे की कहानी, कैसे बना हमारा राष्ट्रीय ध्वज. आज हम आपको तिरंगे की पूरी कहानी बता रहे हैं.
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी. इसे 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. बता दें, तिरंगे का डिजाइन आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था.
पिंगली वेंकैया: जिनकी वजह से भारत को मिला तिरंगा...
तिरंगे ने बदले इतने रंग
राष्ट्र ध्वज तीन रंगों से मिलकर बना है- जिसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग है. आपको बता दें, वर्तमान में जो राष्ट्रीय ध्वज है उससे पहले भी कई राष्ट्र ध्वज बन चुके हैं. साल 1921 में पिंगली वेंकैया ने केसरिया और हरा झंडा सामने रखा था. फिर जालंधर के लाला हंसराज ने इसमें चर्खा जोड़ा और गांधीजी ने सफेद पट्टी जोड़ने का सुझाव दिया था.
पहला ध्वज
सबसे पहले लाल, पीले और हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था.
दूसरा ध्वज
दूसरे ध्वज को साल 1907 में पेरिस में मैडम कामा और उनके साथ निकाले किए गए कुछ क्रांतिकारियों ने फहराया गया था. यह भी पहले ध्वज की तरह ही था. इसमें सबसे ऊपर बनी पट्टी पर सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते थे जबकि एक कमल था.
तीसरा ध्वज
तीसरा ध्वज साल 1917 में डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया. इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के स्वरूप में इस पर बने सात सितारे थे. बाईं ओर ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक था और दाईं तरफ ऊपरी किनारे पर सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.
मोदी ने साल में 2 बार लाल किला पर फहराया तिरंगा, कई PM को मौका तक न मिला
चौथा ध्वज
चौथा ध्वज अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सत्र के दौरान 1921 में बेजवाड़ा में फहराया गया था. यह दो रंगों लाल और हरे से बना था जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समदायों को दर्शाता था. गांधी जी ने यह सुझाव दिया था कि भारत के बाकी का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए.
पांचवा ध्वज
पांचवा ध्वज साल 1931 में फहराया गया. यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का संग्राम चिन्ह भी था.
वहीं हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि 22 जुलाई 1947 को आया केसरिया, सफेद और हरा रंग का झंडा अपनाया. जिसके बीचों-बीच इसके बीचों बीच अशोक चक्र भी बना है जिसमें 24 तिल्लियां होती हैं. तिरंगे को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने भारत के स्वतंत्र होने से कुछ समय पहले ही अपना लिया था.