
हमारे आस-पास के समाज में कई बार हमारी नजरें ही नहीं पड़तीं. हम दुनिया की तमाम बड़ी-बड़ी हस्तियों की आत्मकथा और उनके किस्से सुनते-सुनाते रहते हैं लेकिन अपने आसपास नहीं देखते. झारखंड के रामगढ़ में सरकारी दफ्तर में एक 60 वर्षीय महिला चपरासी की नौकरी से मुक्त हुई हैं. अब आप सोचते होंगे कि इसमें ऐसा क्या खास है. ऐसे तो पूरी दुनिया से लोग रिटायर होते हैं. आखिर उनमें क्या खास है?
उनकी विदाई सभा में आईएएस, इंजीनियर और डॉक्टर मौजूद थे...
दरअसल, ये तीनों आला अधिकारी उनकी विदाई सभा में मौजूद थे. ये तीनो आला अधिकारी उनके बेटे हैं. गायत्री देवी ने गरीबी के आलम में अपनी मामूली पगार के दम पर इन तीनों बेटों को पढ़ाया-लिखाया . आज उनके तीनों बेटों समाज में सम्मान भरी नजरों से देखे जाते हैं. साथ ही साथ वह भी सम्मानपूर्वक देखी जाती हैं.
बेटों की सफलता के बावजूद करती रही काम...
हमारे समाज में ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि बेटे या बेटी के नौकरी लगते ही मां या बाप को घर पर बैठने के लिए कह दिया जाता है. वे ऐसा मानते हैं कि उनके ऐसा न करने से उनकी साख को धक्का लगेगा. मगर यहां मामला एकदम उलट था. गायत्री देवी ने अपने बेटों को सफल मुकाम तक पहुंचाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी. उनके सफल होने पर भी वह अपने काम को तन-मन से करती रहीं. शायद यही वजह है कि वह अपने आस-पास के इलाके में इतनी पॉपुलर हैं.