Advertisement

1975 का वो अगस्त...जब तख्तापलट के बाद शेख मुजीब के परिवार की हो गई थी हत्या, हसीना को इंदिरा ने दी थी शरण

साल 1975 के सैन्य व‍िद्राेह में शेख हसीनााके पिता, मां और 3 भाई तख्तापलट में मारे गए थे. बता दें, जिस समय शेख हसीना के परिवार की हत्या हुई थी उस समय उनकी उम्र 28 साल की थी. वह भाई बहनों में सबसे छोटी बहन थी.

बांग्लादेश बांग्लादेश
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 05 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 9:15 PM IST

आज इंटरनेशनल मीडिया में बस एक ही खबर छाई है, वो है बांग्लादेश में तख्तापलट की. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और वह फिलहाल भारत में हैं. पूर्व पीएम हसीना का विमान ढाका से सीधे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड हुआ, जहां उनसे एनएसए अजीत डोभाल ने मुलाकात भी की है. 

देश में भीषण हिंसा और आगजनी के बीच शेख हसीना एक बार फिर अपना देश छोड़कर भारत आ चुकी हैं. साल 1975 और अगस्त के इसी महीने में बांग्लादेश के तख्तापलट में शेख हसीना की जान पर बन आई थी, तब उनको जीवनदान भारत ने दिया था. उन्होंने वहां से आकर दिल्ली में शरण ली थी. आइए जानते हैं तब क्या हुआ था. 

Advertisement

तख्तापलट में गई थी शेख मुजीब की जान 
15 अगस्त 1975 को शेख मुजीबुर रहमान समेत उनके परिवार की हत्या कर दी गई थी. उस समय शेख हसीना जर्मनी से दिल्ली आई थीं. वह 1981 तक दिल्ली में रही थीं. बता दें, जर्मनी में उनके पति परमाणु वैज्ञानिक के रूप में काम कर कर रहे थे. पिता की हत्या के बाद उन्होंने 1981 के बाद बांग्लादेश जा कर पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला. उनके पिता, मां और 3 भाई तख्तापलट में मारे गए थे. जिस समय शेख हसीना के परिवार की हत्या हुई थी उस समय उनकी उम्र 28 साल की थी. वह भाई बहनों में सबसे छोटी बहन हैं.

15 अगस्त 1975 का वो दिन...
1975 का वो दौर शेख हसीना के लिए किसी डरावनी याद से कम नहीं है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार उस दौरान उनके पति डाक्टर वाजेद और बहन रेहाना ब्रसेल्स में बांगलादेश के राजदूत सनाउल हक के यहां ठहरे हुए थे. यहां से इन सबको पेर‍िस जाना था, वो प्लान बना ही रहे थे कि सुबह साढ़े छह बजे राजदूत सनाउल हक के फोन की घंटी बजी. यह कॉल जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत हुमांयु रशीद का था. 

Advertisement

जहां मेहमान थीं शेख हसीना, तुरंत घर छोड़ने को कह दिया गया
उन्होंने बताया कि आज सुबह ही बांग्लादेश में सैनिक विद्रोह हो गया है. आपलोग पेरिस न जाकर तुरंत जर्मनी वापस आ जाइए. लेकिन, जैसे ही राजदूत सनाउल हक को पता चला कि सैनिक विद्रोह में शेख मुजीब मारे गए हैं, उन्होंने उनकी दोनों बेटियों और दामाद को कोई भी मदद देने से इंकार कर दिया. यही नहीं, उन्होंने शेख हसीना के पर‍िवार को जल्द से जल्द उनका घर छोड़ देने के लिए भी कहा.उस घटना को याद करते हुए शेख हसीना ने खुद एक कार्यक्रम में बताया था कि हम जैसे उनके लिए बोझ बन गए, हालांकि उन्हें शेख मुजीब (शेख हसीना के पिता) ने ही बेल्जियम में बांग्लादेश का राजदूत बनाया था और वो एक राजनीतिक नियुक्ति थी. उन्होंने हमें जर्मनी जाने के लिए कार देने से भी मना कर दिया.

वहां से पहुंची थीं जर्मनी
यहां से दोनों बहनें जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत हुमांयु रशीद चौधरी की मदद से जर्मनी पहुंचीं.थोड़ी ही देर में यूगोस्लाविया के दौरे पर आए बांग्लादेश के विदेश मंत्री डाक्टर कमाल हुसैन भी वहां पहुंचे.मीडिया को खबर लगी तो वो वहां इकट्ठे होने लगे लेकिन शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना इतने सदमें में थीं कि उन्होंने उनसे कोई बात नहीं की. यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति ने भी उनसे बात की लेकिन ये तय नहीं हो सका कि वो रहेंगी कहां.

Advertisement

कैसे भारत में मिली शरण 
हुमायुं रशीद चौधरी के बेटे नौमान रशीद चौधरी ने मशहूर बांगलादेशी अखबार में एक लेख में इसका किस्सा साझा किया था. जिसमें बताया कि उनके पिता ने किन हालातों में इंदिरा गांधी के दफ्तर फोन मिलाया था. वो उम्मीद नहीं कर रहे थे कि ये कॉल टेलिफोन ऑपरेटर के आगे तक जा पाएगी. लेकिन वो दंग रह गए जब इंदिरा गांधी ने खुद वो कॉल रिसीव की. उन्होंने इंदिरा गांधी को सारी बात बताई. इंद‍िरा गांधी इन दोनों बेटियों को राजनीतिक शरण देने के लिए तुरंत तैयार हो गई थीं. 24 अगस्त, 1975 को एयर इंडिया के विमान से शेख हसीना और उनका परिवार दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पहुंचा.कैबिनेट के एक संयुक्त सचिव ने उनको रिसीव किया. पहले उनको रॉ के सेफ हाउस में ले जाया गया.इसके बाद उन्हें डिफेंस कॉलॉनी के एक घर में भेजा. 

बांग्लादेश में क्या हो रहा है? 
बांग्लादेश में भीषण आगजनी और हिंसा के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं. लोग सड़कों पर उतरकर जगह-जगह हिंसा कर रहे हैं. सरकारी संपत्तियों को आग के हवाले कर रहे हैं. इस बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और सेना के विशेष हेलिकॉप्टर से भारत के लिए रवाना हो गई हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement