
ये एक ऐसे युवक की कहानी है जिसने सरकारी स्कूल के बच्चों को साइंस की अच्छी पढ़ाई उपलब्ध करवाने के लिए अपनी मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु ( IISc) से पासआउट श्रीधर पी ने ऐसा ही किया. 33 साल के श्रीधर ने चार स्टूडेंट्स के सपने को पूरा करने के लिए ना सिर्फ अपनी जेब से पैसे दिए बल्कि कर्ज भी ले लिया.
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श्रीधर सेवा भारती राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय, बेंगलुरु में रोबॉटिक्स पढ़ाते हैं.
उन्होंने दिहाड़ी मजदूर के बच्चे के लिए कर्ज लिया ताकि वह जापान में रोबो कप 2017 में रोबॉट्स निर्माण में अपनी प्रतिभा सारी दुनिया को दिखा सकें.
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टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में श्रीधर ने कहा कि 'IISc से इंजीनियरिंग करने के बाद ही अच्छी नौकरी मिल गई थी. लेकिन बाद में स्वयंसेवी के तौर पर सरकारी स्कूलों और झुग्गी-झोपड़ियों में पढ़ाना शुरू कर किया'.
श्रीधर प्रैक्टिकल और मजेदार तरीके से बच्चों को साइंस पढ़ाना चाहते थे. पुणे में जब वह एक आईटी फर्म के साथ काम कर रहे थे तब उन्हें महसूस हुआ कि बच्चे साइंस पढ़ने में रुचि रखते हैं.
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फिर वह 2014 में बेंगलुरु आए और सेवा भारती राजकीय विद्यालय में अक्षरा फाउंडेशन द्वारा स्थापित रोबॉटिक्स लैब में मेंटर के तौर पर ज्वाइन किया. स्टूडेंट्स जापान में आयोजित रोबो कप 2017 में हिस्सा ले सकें इसके लिए उन्होंने क्राउडफंडिंग के जरिए 2.4 लाख रुपये इकट्ठा किए.