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भारत इन दिनों दुनिया की शीर्ष अंतरिक्ष ताकतों में गिना जाता है, लेकिन इसके पीछे कई साल की मेहनत है. अंतरिक्ष पहुंचने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा के साथ शुरू हुआ यह सफर बेहद ख़ास रहा है. हमने नज़र डाली भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के मील के पत्थरों पर:
पहला RLV:
भारत ने रियूज़ेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) की पहली टेक्नोलॉजिकल बानगी दिखाई. ये सैटेलाइट को पृथ्वी के आसपास ऑरबिट तक पहुंचाने और फिर लौट आने में दक्षता रखता है. इसे देश का पहला ऐसा स्पेस शटल है, जो किफायती, विश्वसनीय और मांग उठने पर अंतरिक्षत तक शानदार पहुंच देता है. RLV-TD टू स्टेट टू ऑरबिट (TSTO) पूर्णकालिक रियूज़ेबल व्हीकल की दिशा में पहला बड़ा कदम है.
पहला भारतीय:
हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन और अशोक चक्र विजेता राकेश शर्मा पूर्व भारतीय वायु सेना पायलट है, जो 3 अप्रैल, 1984 को सोयुज़ टी-11 पर सवार होकर अंतरिक्ष पहुंचने वाले पहले भारतीय बने थे.
पहली भारतीय महिला:
एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला मिशन स्पेशलिस्ट और प्राइमरी रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के तौर पर 1997 में स्पेस शटल कोलंबिया पर सवार होकर अंतरिक्ष पहुंची पहली भारतीय महिला थीं. कोलंबिया के लौटते वक़्त हुए हादसे में उनका निधन हो गया.
पहला उपग्रह:
देश के पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट को यह नाम प्राचीन भारत के जाने-माने खगोलविद् से मिला. ये सैटेलाइट भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने बनाया और इसे 19 अप्रैल, 1975 को सोवियत संघ ने लॉन्च किया था
पहला रॉकेट:
रोहिणी उन प्रायोगिक रॉकेट की सीरीज़ का नाम है, जिसे इसरो ने मौसम और वातावरण संबंधी स्टडी के लिए बनाया था. RH-75 को 20 नवंबर, 1967 को केरल के थुम्बा से लॉन्च किया गया था. नवंबर, 1967 और सितंबर, 1968 के बीच इसने करीब 15 उड़ान पूरी कीं.
पहली बार, चांद पार:
चंद्रयान-1 देश का पहला चंद्र मिशन था. मानवरहित इस एक्सप्लोरेशन मिशन में लूनर ऑर्बिटर और इम्पैक्टर शामिल था, जिसे मून इम्पैक्ट प्रोब नाम दिया गया. इसे 22 अक्टूबर, 2008 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV के नए वर्ज़न से भेजा गया
पहली बार, मंगल पार:
इसरो ने मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) को 5 नवंबर, 2013 को पृथ्वी की ऑर्बिट में भेजा था और यह 24 सितंबर, 2014 को मंगल की ऑर्बिट में दाखिल हुआ. भारत पहली कोशिश में मंगल की ऑर्बिट में पहुंचने वाला पहला देश बना.
कम्युनिकेशन सैटेलाइट:
हमारा पहला एक्सपेरीमेंटल GEO कम्युनिकेशंस सैटेलाइट APPLE (एरियन पैसेंजर पेलोड एक्सपेरीमेंट) जून, 1981 में एरियन लॉन्च व्हीकल की तीसरी टेस्ट उड़ान से भेजा गया था. 350 किलोग्राम वज़नी एप्पल ने 27 महीने तक भारतीय टेलकम्युनिकेशंस स्पेस रिले इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए महत्वपूर्ण काम किया.
अंतरिक्ष ऑब्ज़रवेटरी:
इसरो ने पहला मल्टी-वेवलेंग्थ स्पेस ऑब्ज़रवेटरी 28 सितंबर, 2015 को अंतरिक्ष में भेजा. एस्ट्रोस्टैट नामक इस ऑब्ज़रवेटरी का उद्देश्य न्यूट्रॉन स्टार रखने वाले बाइनरी स्टार सिस्टम्स में उच्च ऊर्जा की प्रक्रियाओं को समझना था.
सौजन्य: NEWSFLICKS