
कई लोग दिव्यांग होने के बाद भी अपनी शारीरिक कमजोरी को सफलता के आड़े नहीं आने दते हैं. इसका एक उदाहरण हैं, जयपुर के रहने वाले प्रतीक अग्रवाल. प्रतीक अग्रवाल आंखों से देखने में सक्षम नहीं है, इसकी वजह से उन्हें कई बार इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया. लेकिन इंटरव्यू में रिजेक्ट होने के बाद वो पीछे नहीं हटे और उन्होंने बिना नौकरी के ही अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने की सोची.
अगर वो ना सिर्फ खुद का बिजनेस कर रहे हैं, बल्कि दूसरे लोगों को नौकरियां भी दे रहे हैं. नौकरी ना लगने पर उन्होंने 2010 में खुद की एक आईटी कंपनी खोली और अब वो अच्छे से ये कंपनी चला रहे हैं. उन्हें आंखों से पहले ही ना दिखता हो, लेकिन की-बोर्ड पर उनके हाथ एक मशीन की तरह चलते हैं. अब वो अपने दैनिक कार्य और अपने बिजनेस का काम टॉक मोड के जरिए करते हैं.
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हालांकि वो ये बिजनेस करना नहीं चाहते थे, लेकिन मजबूरी में उन्हें ये काम करना पड़ा. उन्होंने बताया कि नीमराना में एनआईआईटी यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट होने तक वो लगातार टॉप तीन में थे. हर साल कैंपस इंटरव्यू में वो टॉप परफार्मर भी रहे.
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टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार उनका कहना है कि 'मेरी प्रतिभा को हर बार नजरअंदाज कर दिया जाता था. फिर भी मैंने कभी हार नहीं मानी. मैंने सोचा कि अगर मुझे नौकरी नहीं मिल पा रही है तो क्या मैं तो दूसरों को नौकरी दे सकता हूं. और ईश्वर की कृपा है कि मैं आज आईटी इंटरप्रेन्योर बनने के बाद कई लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा हूं.'