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बच्चों को मदरसे में रोकने का काम कर रही टेक्नोलॉजी...

टेक्नोलॉजी की मदद से स्टूडेंट्स को मदरसों में रोकने के हो रहे प्रयास. घट रहा है ड्रॉपआउट रेट.

Madrassa (PC-Dailymail) Madrassa (PC-Dailymail)
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

ऐसा नहीं है कि टेक्नोलॉजी हमेशा साइड इफेक्ट्स ही लाती है. इस बीच जो खबरें पश्चिम बंगाल के मदरसों से आ रही हैं. कम से कम वह तो टेक्नोलॉजी के पक्ष में ही खड़ी होती दिखती हैं. टेक्नोलॉजी और खास तौर पर कंप्यूटर बच्चों को मदरसों में रोकने और उन्हें फिर से लौटाने में महती भूमिका अदा कर रही है.

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के स्कूलों और मदरसों में ड्रॉपआउट रेट काफी बढ़ गया था, लेकिन जब से वे टेक्नोलॉजी के मार्फत कंप्यूटर की ओर मुड़े हैं. मदरसों में ड्रॉपआउट रेट तेजी से घटा है.

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इस्लाम को टेक्नोलॉजी से जोड़ने का हो रहा काम...
मदरसे के शिक्षक कहते हैं कि जब वे न्यूट्रीशन पर बच्चों को क्लासेस देते हैं तब वे उसे रोचक नहीं पाते. जब वे उन्हीं विषयों को इस्लाम और पैगम्बर से जोड़ कर परोसते हैं तो बच्चे बड़े चाव से सुनते हैं. वे अब दीनी (धार्मिक) और दुनियावी तालीम (वैश्विक शिक्षा) को आधुनिक टेक्नोलॉजी से जोड़ने का काम कर रहे हैं. मदरसों के शिक्षकों की मानें तो टेक्नोलॉजी ने बच्चों को रोकने के साथ-साथ पढ़ाई की ओर भी मोड़ा है. ऐसे में राज्य की संस्था उनकी हरसंभव मदद कर रही है

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