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गणेशशंकर विद्यार्थी एक ऐसे पत्रकार थे, जिन्होंने अपनी लेखनी की ताकत से भारत में अंग्रेज़ी शासन की नींद उड़ा दी थी. इस महान स्वतंत्रता सेनानी ने कलम और वाणी के साथ-साथ महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों और क्रांतिकारियों को समान रूप से समर्थन और सहयोग दिया.
25 मार्च 1931 के दिन उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.
आइए जानते है उनसे जुड़ी बातें:
1. 26 अक्टूबर, 1890, प्रयाग- उत्तर प्रदेश में उनका जन्म हुआ था. गणेशशंकर विद्यार्थी एक निडर और निष्पक्ष पत्रकार, समाज-सेवी और स्वतंत्रता सेनानी थे.
2. कानपुर में करेंसी ऑफिस में नौकरी की. लेकिन अंग्रेज अधिकारी से नहीं पटने के कारण वहां से इस्तीफा दे दिया.
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3. प्रताप अखबार की शुरुआत की और उसमें भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे कई क्रांतिकारियों के लेख छापे.
4. लगातार अंग्रेजों के खिलाफ समाचार पत्र में लेख छापने के कारण उन्हें कई महीने जेल में काटने पड़े.
5. उन्होंने महज 16 साल की उम्र में 'हमारी आत्मोसर्गता' नाम की किताब लिखी.
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6. मार्च 1931 में कानपुर में भयंकर हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए, जिसमें हजारों लोगों की जान गई. गणेशशंकर विद्यार्थी ने आतंकियों के बीच जाकर हजारों लोगों को बचाया पर खुद एक ऐसी ही हिंसक भीड़ में फंस गए जिसने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी.
7. एक ऐसा मसीहा जिसने खुद की जान कुर्बान कर हजारों लोगों की जान बचायी.