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World wetland day: जानें विलुप्त होने वाली झीलों के बारे में

2 फरवरी 1971 को ईरान के रमसर में वेटलैंड कन्वेंशन को अपनाया गया था. इसलिए आज का दिन 'वर्ल्ड वेट लैंड डे' के तौर पर मनाया जाता है.

World wet land day World wet land day
मेधा चावला
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:34 PM IST

कुदरत से खिलवाड़ मत कीजिए, क्योंकि अगर कुदरत ने इंसानों के साथ खिलवाड़ शुरू कर दिया तो आने वाली पीढ़ी झील और नदियों को सिर्फ किताबों में ही देख पाएगी.

नदियों, झीलों, तालाबों आदि की खराब होती स्थ‍िति को देखते हुए साल 1971 में 2 फरवरी को ईरान के रमसर में वेटलैंड कन्वेंशन को अपनाया गया.

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इसका उद्देश्य उन आर्द्र क्षेत्रों पर प्रकाश डालना है, जो विलुप्त होने वाले हैं.

भारत में डल झील, वुलर झील, हरिके, सुंदरबन, चिल्का झील जैसे आर्द्र क्षेत्र खतरे में हैं.

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1900 के बाद से दुनिया में 64 प्रतिशत आर्द्र क्षेत्र लुप्त हो चुके हैं और अमेरिका ने अपने आधे से ज्यादा आर्द्र क्षेत्र गंवा दिए हैं.

आर्द्र क्षेत्र पानी साफ करने, बाढ़ नियंत्रण करने और नदी को वानस्पतिक पदार्थ देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.

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नेशनल वेटलैंड एटलस के मुताबिक देश का 1.52 करोड़ हेक्टेयर इलाका आर्द्र क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

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