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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् ने फरवरी, 2018 में होने वाली हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षाओं के लिए पंजीकरण करा चुके करीब 50,000 विद्यार्थियों का पंजीकरण रद्द कर दिया है. प्राइवेट अभ्यर्थी के तौर पर पंजीकरण कराने वाले इन विद्यार्थियों के दस्तावेज जांच में फर्जी पाए गए.
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव नीना श्रीवास्तव ने पीटीआई-भाषा को बताया कि करीब 50,000 विद्यार्थियों के दस्तावेज जांच में फर्जी पाए गए. इनमें सबसे अधिक लगभग 18,000 विद्यार्थी मेरठ क्षेत्र से हैं. वहीं वाराणसी क्षेत्र से करीब 12,000, इलाहाबाद क्षेत्र से लगभग 11,000 और गोरखपुर क्षेत्र से करीब 10,000 विद्यार्थी हैं जिनके दस्तावेज फर्जी पाए गए.
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बता दें कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद अपने पांच क्षेत्रीय कार्यालयों- इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ और बरेली के जरिए हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के लिए पंजीकरण करता है. वहीं फरवरी, 2018 में होने वाली इन परीक्षाओं के लिए प्राइवेट उम्मीदवार के तौर पर करीब 2,50,000 विद्यार्थियों ने अपना पंजीकरण कराया है.
श्रीवास्तव ने बताया कि बोर्ड स्कूलों के उन प्रधानाचार्यों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जिन्होंने दस्तावेज अपलोड करने के दौरान लापरवाही बरती है. साथ ही बोर्ड, जिला विद्यालय निरीक्षकों से भी जवाब तलब करेगा. अगर इनके स्तरों पर सावधानी बरती जाती, तो इतने बड़े पैमाने पर पंजीकरण निरस्त करने की नौबत नहीं आती.
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उन्होंने कहा कि सत्यापन की प्रक्रिया अभी जारी है और पंजीकरण रद्द करने की कार्रवाई आगे भी चल सकती है. जांच में पाया गया कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के लिए प्राइवेट कैंडीडेट के तौर पर पंजीकरण कराने वाले इन विद्यार्थियों ने पिछली कक्षा के फर्जी दस्तावेज अपलोड किए. सचिव ने बताया कि संपूर्ण पंजीकरण प्रक्रिया आनलाईन होने से जांच में सहूलियत मिली है.