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UPSC: वायनाड की आदिवासी उम्मीदवार श्रीधन्या ने किया कारनामा, रैंक-410 और रचा ये इतिहास

UPSC सिविल सेवा परीक्षा में केरल के वायनाड जिले की रहने वाली 22 साल की श्रीधन्या सुरेश ने इतिहास रचा है. वो सिविल सेवा परीक्षा में पास होने वाली केरल की पहली आदिवासी महिला हैं.

UPSC Civil Services Exam: श्रीधन्या सुरेश UPSC Civil Services Exam: श्रीधन्या सुरेश
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 10:13 AM IST

संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज परीक्षा के नतीजे जारी कर दिए गए हैं. परीक्षा में कई ऐसे चेहरे सामने आए हैं, जिन्होंने काफी मुश्किलों में पढ़ाई की ओर कीर्तिमान हासिल किया. उनमें से एक उम्मीदवार हैं 22 साल की श्रीधन्या सुरेश, जो केरल के वायनाड जिले की रहने वाली हैं. वो सिविल सेवा परीक्षा में पास होने वाली केरल की पहली आदिवासी महिला हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई दिग्गजों ने उन्हें बधाई दी है.

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श्रीधन्या सुरेश ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 में 410 वीं रैंक हासिल की है. परीक्षा में शीर्ष रैंक पाने वाले केरल के अन्य उम्मीदवारों में आर श्रीलक्ष्मी (रैंक 29), रंजना मैरी वर्गीस (रैंक 49) और अर्जुन मोहन (रैंक 66) का नाम शामिल है. श्रीधन्या सुरेश की सफलता पर राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि वायनाड की श्रीधन्या सुरेश सिविल सेवा परीक्षा में पास होने वाली केरल की पहली आदिवासी महिला हैं. श्रीधन्या की कड़ी मेहनत और लगन ने सपनों को पूरा करने में उनकी मदद की. मैं श्रीधन्या और उनके परिवार को बधाई देता हूं.

वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी श्रीधन्या सुरेश को बधाई दी है. विजयन ने फेसबुक पोस्ट में कहा, 'श्रीधन्या ने सामाजिक पिछड़ेपन का मुकाबला किया और पूरे जज्बे के साथ सिविल सेवा परीक्षा को उत्तीर्ण किया. उनकी उपलब्धि भविष्य में अन्य छात्रों को प्रेरित करेगी.' इसके साथ मुख्यमंत्री ने परीक्षा पास करने वाले राज्य के अन्य परीक्षार्थियों को भी बधाई दी.

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बता दें कि केरल के कुल 29 छात्रों ने इस साल सिविल सेवा परीक्षा उतीर्ण की. वहीं इस बार फाइनल रिजल्ट में 759 परीक्षार्थी परीक्षा पास करने में कामयाब हुए. इनमें जनरल कैटेगरी के 361, ओबीसी के 209, एससी के 128 और एसटी के 61 परीक्षार्थी शामिल हैं. इस बार शीर्ष 25 में 15 पुरुष परीक्षार्थी और 10 महिला  परीक्षार्थी का नाम शामिल है.

वहीं श्रीधन्या ने कहा, 'मैं राज्य के सबसे पिछड़े जिले से हूं. यहां से कोई आदिवासी आईएएस अधिकारी नहीं हैं, जबकि यहां पर बहुत बड़ी जनजातीय आबादी है. मुझे आशा है कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए सभी बाधाओं को दूर करने में एक प्रेरणा का काम करेगी.'

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