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घर में सिलेंडर है, लेकिन भराने के पैसे नहीं, बहनों ने की मजदूरी तो खरीदी किताबें... IAS बने पवन के संघर्ष की कहानी

मेहनत और लगन हो तो मंजिल दूर नहीं होती. बुलंदशहर के पवन कुमार ने यही कर दिखाया. कई सुविधाओं की कमी के बावजूद पवन कुमार ने यूपीएससी क्लीयर कर जिले के साथ-साथ अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है. 

पवन कुमार के IAS बनने के संघर्ष की कहानी (फोटो- पिता, पवन और बहन) पवन कुमार के IAS बनने के संघर्ष की कहानी (फोटो- पिता, पवन और बहन)
मुकुल शर्मा
  • बुलंदशहर,
  • 18 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 9:07 AM IST

बुलंदशहर के पवन कुमार यूपीएससी परीक्षा में 239वीं रैंक लाकर आईएएस बने हैं, लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि उज्जवला योजना के तहत मिले गैस सिलेंडर को भराने तक के पैसे नहीं  है. जब पिता और बहनों ने मजदूरी की तब जाकर कोचिंग और किताबों का खर्च निकल पाया और फिर 3200 रुपये का सेकंड हैंड फोन खरीदा ताकि तैयारी करने में मदद मिल सके. 

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जिले के रघुनाथपुर गांव के रहने वाले मुकेश कुमार के बेटे पवन कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा में 239वीं रैंक पाई है. बेटे की कामयाबी पर परिवार में जश्न का माहौल है. माता-पिता का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. जिस घर में पवन का परिवार रहता है, उसमें बिजली कनेक्शन तो है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की कमी रहती है. घर में कोई अन्य सुविधा भी नहीं है. छत भी तिरपाल और पॉलीथीन की है.

सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले पवन की मां और बहन जंगल से लकड़ी इकट्ठी कर चूल्हे पर खाना बनाती हैं. दरअसल परिवार को उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर तो मिल गया, लेकिन बाद में उसे भराने में एक हजार रुपये ही नहीं जुटा पाए, जिसकी वजह से चूल्हे पर ही खाना बनाया जाता है. 

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पवन को दिलाया था सेकंड हैंड मोबाइल

पवन के पिता ने बताया कि उसे तैयारी करते समय एंड्राइड मोबाइल फोन की जरूरत थी तो घर में सबने मजदूरी की और पैसे इकट्ठे किए. तब जाकर 3,200 रुपये का सेकंड हैंड मोबाइल फोन खरीद पाए.  उन्होंने बताया कि पवन की शुरुआती पढ़ाई नैनीताल से की, इस दौरान उनका इसी घर से आना-जाना रहता था. उसके बाद 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई बुलंदशहर के बुकलाना स्थित नवोदय विद्यालय में हुई. यहां के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जियोग्राफी, पॉलिटिकल में ग्रेजुएशन किया. उसके बाद मुखर्जी नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर में तैयारी की. दो वर्ष कोचिंग के बाद अधिकतर समय उन्होंने अपने रूम पर रहकर सेल्फ स्टडी की. इस समय पवन की उम्र करीब 24 साल है.

तीसरे प्रयास में मिली सफलता

पिता मुकेश कुमार ने बताया कि पवन को तीसरे प्रयास में यह सफलता मिली है. इस कामयाबी में उन्हें माता-पिता और भाई का भरपूर सहयोग मिला. पिता का कहना है कि उन्हें बेटे की कामयाबी पर बड़ा अच्छा लग रहा है. मां सुमन खुशी से फूले नहीं समा रही हैं. मंगलवार को उनके घर पर पवन कुमार को बधाई देने व मिठाई खिलाने वालों का देर रात तक सिलसिला चलता रहा.  

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पवन के परिवार में कौन-कौन है?  

पवन के पिता मुकेश कुमार एक किसान हैं. उनका मां सुमन गृहिणी हैं. पवन की तीन बहनें हैं. सबसे बड़ी गोल्डी बीए की परीक्षा के बाद एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती हैं. दूसरी बहन सृष्टि जोकि वर्तमान में बीए की पढ़ाई कर रही हैं. छोटी बहन सोनिया 12वीं की छात्रा है. किसान पिता के बेटे की कामयाबी पर परिवार में जश्न का माहौल है. 

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पवन की बड़ी बहन ने क्या कहा?

उनकी बड़ी बहन गोल्डी ने कहा कि हम सबको बहुत खुशी है. पूरे गांव को खुशी है हमारे परिवार को खुशी है. उसने बड़ी मेहनत से पढ़ाई की है इसी छप्पर में रहकर वह पढा है. हम तीनों बहन और मम्मी-पापा सब मिलकर मजदूरी करते थे और उसकी पढ़ाई के लिए खेत में मजदूरी करते थे. हम चारों-पांचों ने मिलकर कड़ी मेहनत की तब जाकर उसको मोबाइल दिलवाया था. 

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