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गोरखनाथ मंदिर को पिछले कई सालों से उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व की राजनीति का केंद्र माना जाता रहा है. कहा जाता है कि गोरखनाथ संप्रदाय के महंत दिग्विजयनाथ ने ही इस मंदिर को राजनीति का केंद्र बनाया था.
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कहा जाता है कि वर्ष 1934 में जब दिग्विजयनाथ, नाथ संप्रदाय के महंत बने, तो मंदिर कट्टर हिंदुत्व की राजनीति केन्द्र बन गया. 1894 में जन्मे दिग्विजयनाथ का पालन पोषण मठ में ही हुआ था. महंत बनने के तीन साल के बाद ही 1937 में वे हिंदू महासभा के प्रमुख चुन लिए गए थे. कहा जाता है कि महासभा के अन्य सदस्यों की ही तरह वे भी महात्मा गांधी के आलोचकों में से एक थे. उन्हें महात्मा गांधी की हत्या के षड्यंत्र के आरोप में भी गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने ही नाथूराम गोडसे को हथियार दिए थे.
अयोध्या: द डार्क नाइट नामक किताब के पेज-28 में भी ये कहा गया है कि उन्हें महात्मा गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वे इस आरोप में नौ माह जेल में भी रहे थे.
उनके बाद मंदिर के महंत अवैद्यनाथ बने. महंत अवैद्यनाथ ने गढ़वाल के विज्ञान स्नातक अजय सिंह बिष्ट को 15 फरवरी 1994 को उत्तराधिकारी बनाया. और इस तरह से देश की राजनीति में एक युवा हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ का उदय हुआ. चार वर्ष बाद 1998 में योगी आदित्यनाथ नाथ गोरखपुर से चुनाव लड़े और 26 वर्ष की आयु में सांसद बन गए.