कभी एग्‍जाम में हो गए थे फेल, ऐसे महान लेखक बने नायपॉल

केवल अपनी कलम के दम पर पूरी दुनिया को झकझोर देने का माद्दा रखने वाले लेखकों में वी. एस. नायपॉल की गिनती पहली पंक्ति में की जाती है.

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केवल अपनी कलम के दम पर पूरी दुनिया को झकझोर देने का माद्दा रखने वाले लेखकों में वी. एस. नायपॉल की गिनती पहली पंक्ति में की जाती है. आज जानिए  उनके बारे में कुछ खास बातें-

- नोबेल पुरस्‍कार विजेता विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल का जन्‍म 17 अगस्‍त 1932 को हुआ था.

- उनके दादा-दादी मजदूरी के लिए भारत से त्रिनिडाड चले गए थे. उनका जन्‍म वहीं हुआ.

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- ऑक्‍सफोर्ड में वो बी.लिट के इम्‍तहान में पहली बार नाकाम हो गए थे.

- 1971 में उन्‍हें बुकर प्राइज मिला था. 2001 में साहित्‍य का नोबेल पुरस्‍कार उन्‍हें मिला.

- 2001 में आई द मिस्टिक मेसर फिल्‍म उनकी किताब पर आधारित है, जो उन्‍होंने 1957 में लिखी थी.

- नायपॉल ने 61 साल के अपने करियर में 30 से ज्‍यादा किताबें लिखीं.

- वी. एस. नायपॉल की कुछ उल्‍लेखनीय कृतियां हैं: इन ए फ्री स्‍टेट (1971), ए वे इन द वर्ल्‍ड (1994), हाफ ए लाइफ (2001), मैजिक सीड्स (2004). उनके विचार अनेक तथाकथित धर्मनिरपेक्ष विचारकों और लेखकों को पसंद नहीं हैं.

 

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