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और सफलता के लिए उन्होंने दिल्ली छोड़ दी...

स्टार्ट अप शुरू करने के क्रम में जहां लोग छोटे शहरों से महानगरों की ओर रुख करते हैं वहीं कुछ ऐसे भी सिरफिरे हैं जो दिल्ली छोड़ कर सोलांग घाटी रवाना हो गए हैं. पढ़ें उनके संघर्षों की दास्तां...

Harsh Harsh
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:23 PM IST

ऐसा हम सभी के साथ होता है कि हम तथाकथित सफलता के पीछे दौड़ने में अपना सबकुछ गवां बैठते हैं. अपना चैन-सुकून, रातों की नींद, हंसना, मुस्कुराना और बिना वजह खिलखिलाना. स्ट्रेस हमारा परमानेंट रूम मेट बन जाता है. हम रोज सुबह उठ कर अनमने ढंग से दफ्तर के लिए रवाना होते हैं और देर रात वापस आ कर बिस्तर पर निढाल हो जाते हैं. लेकिन इन सभी के बीच कुछ ऐसे भी सिरफिरे हैं जो महानगरों में मिलने वाली मोटी कमाई को लात मार कर पहाड़ों की ओर रुख कर रहे हैं. सिरफिरे इसलिए क्योंकि कम से कम ऐसे लोग मुझे तो सिरफिरे ही लगते हैं. अपनी धुन के पक्के.

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ऐसा हो सकता है कि वो भी आम इंसान की तरह एक्सपेरिमेंट करने से डरते हों लेकिन वे अपने डर को जीतने का यथासंभभव प्रयास करते तो दीखते ही हैं. हर्ष स्नेहांशु भी एक ऐसे ही शख्स का नाम है. वे आईआईटी दिल्ली से पढ़े होने के बावजूद कैंपस प्लेसमेंट से बचते रहे हैं.

उन्होंने अपने साथी आशीष के साथ मिल कर एक मोबाइल ऐप YOurQuote.in (स्टार्ट अप) शुरू किया है. वे इस ऐप के माध्यम से नएनवेले लेखकों को कुछ अपना लिखने और पब्लिश करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश करते हैं. वे इससे पहले तीन और असफल स्टार्टअप का हिस्सा रह चुके हैं.

दिल्ली छोड़ कर पहाड़ों का रुख किया...
अब यदि ऐसा कोई कहेगा कि उसका काम दिल्ली में नहीं लग रहा और काम के लिए वह पहाड़ों की ओर जा रहा है तो पूरी दुनिया क्या कहेगी भला? मगर हर्ष इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं कि शहर बिना वजह का कितना समय खा जाते हैं. हम किस प्रकार बिना वजह की बहसों में उलझे रहते हैं.

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शहर कैसे हमारे बहुमूल्य समय के साथ-साथ हमारी सेविंग से भी खिलवाड़ करते हैं, और शायद इन्हीं वजहों से वे दिल्ली छोड़ कर सोलांग घाटी, मनाली का रुख कर गए. उन्हें सिर्फ वाई-फाई की दरकार थी जो उन्हें वहां बड़ी आसानी से मिल गई. रहने को एक गेस्ट हाउस, दिल्ली की तुलना में सस्ता कुक और साफसुथरी हवा मिल गई सो अलग.

टेक्नोलॉजी और लेखनी का साथ-साथ चलना...
ऐसा अमूमन देखा जाता है कि एक उद्यमी जो किसी माध्यम में पैसे लगाने को तत्पर होता है उसे उद्यम की तो जानकारी होती है लेकिन माध्यम के आत्मियता से कोई लेना-देना नहीं होता. हर्ष खुद भी फ्रीलांस लेखक हैं जो किताब लिखने, संपादन करने के अलावा अलग-अलग अखबारों और मैगजीन्स में लिखते रहे हैं.

टेक्नोलॉजी का जानकार होना उनके लिए अतिरिक्त लाभ की बात है. वे कहते हैं कि ऐसे स्टार्टअप के सफल होने के लिए कंसिसटेंसी सबसे जरूरी चीज है. शुरुआती फायदे के लालच से बच कर रहना और शुरुआती असफलता की हताशा से निकल कर खुद को मोटिवेट करते रहने से ही स्टार्टअप सफल होते हैं.

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