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आंध्र प्रदेश: नायडू-जगन टक्कर में, कांग्रेस-BJP किंगमेकर बनने के चक्कर में

आंध्र प्रदेश  की 175 विधानसभा सीटों पर पहले चरण में यानी 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. टीडीपी सहित प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के लिए यह सियासी संग्राम 'करो या मरो' की तरह है. प्रदेश में बसपा और जन सेना पार्टी के गठबंधन के सिवा सभी पार्टियां अकेले-अकेले चुनावी किस्मत आजमा रही हैं.

टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST

आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी लड़ाई इस बार काफी दिलचस्प होती जा रही है. तेलगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए जद्दोदहद कर रहे हैं. वहीं, वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी अपने पिता की राह पर चलते हुए सत्ता पर काबिज होने की कवायद में जुटे हैं. जबकि बीजेपी और कांग्रेस जैसे दोनों राष्ट्रीय दल सूबे में किंगमेकर की भूमिका में आने को बेताब हैं. इसके अलावा पवन कल्याण की जन सेना पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी है.

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पहले चरण में वोटिंग

आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा और 175 विधानसभा सीटों पर पहले चरण में यानी 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. टीडीपी सहित प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के लिए यह सियासी संग्राम 'करो या मरो' की तरह है. प्रदेश में बसपा और जन सेना पार्टी के गठबंधन के सिवा सभी पार्टियां अकेले-अकेले चुनावी किस्मत आजमा रही हैं. बीजेपी को छोड़कर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग सभी पार्टियां कर रही हैं.

आंध्र प्रदेश का जनादेश

बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में टीडीपी- बीजेपी मिलकर उतरी थी और कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया कर दिया था. सूबे की कुल 175 सीटों में से टीडीपी को 102, वाईएसआर कांग्रेस को 67, बीजेपी को 4, नवोद्यम पार्टी को 1 और 1 सीट पर निर्दलीय को जीत मिली थी. जबकि कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी थी.

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नायडू-जगन आमने-सामने

पांच साल पहले प्रचंड बहुमत के सत्ता में आने वाली टीडीपी के लिए अपने सिंहासन को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है. हालांकि विशेष राज्य की मांग को लेकर मुख्य मंत्री चंद्रबाबू नायडू बीजेपी से नाता तोड़कर एनडीए से अलग हो चुके हैं. इतना ही नहीं नायडू इन दिनों नरेंद्र मोदी के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किए हुए हैं.

वहीं, वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश की सियासत में खुद को साबित करने के लिए हर संभव कोशिश में जुटे हैं. जगन मोहन रेड्डी ने टीडीपी के खिलाफ माहौल बनाने और जनता का विश्वास जीतने के लिए पूरे प्रदेश का दौरा किया था. जगन सूबे में सत्ताविरोधी लहर का राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं.

कांग्रेस-बीजेपी की चुनौतियां

कांग्रेस आंध्र प्रदेश में एक बार फिर से अपनी सियासी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए जद्दोजहद कर रही है. 2014 में करारी हार का सामना करने के बाद इस बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा कर रहे हैं.

आंध्र की सियासत में बीजेपी इस बार टीडीपी से अलग चुनावी मैदान में उतरी है. ऐसे में बीजेपी को अकेले चुनावी रण में साबित करने की बड़ी चुनौती है. बीजेपी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के सहारे आंध्र प्रदेश में अपनी जगह बनाने की कवायद कर रही है.   

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पवन कल्याण और बसपा गठबंधन

आंध्र प्रदेश में अपनी सियासी जगह बनाने को बेताब पवन कल्याण  बसपा के साथ हाथ मिलाकर सियासी रण में उतरे हैं. 2014 के चुनाव में तेलुगू फिल्म स्टार पवन कल्याण की पार्टी ने अपना समर्थन दिया था, लेकिन एक भी सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. लेकिन इस बार जन सेना पार्टी टीडीपी और बीजेपी से अलग होकर मायावती के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरी है. इसके अलावा  सीपीएम और सीपीआई के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है.

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