
आंध्र प्रदेश में एक साथ हुए लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद एक नाम जो सबसे ज्यादा चर्चा में है वो है जगन मोहन रेड्डी. 46 साल के वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मुखिया जगन मोहन रेड्डी ने राज्य से चंद्रबाबू नायडू की सरकार को उखाड़ फेंका है.
आंध्र प्रदेश में हुए चुनाव में उनका जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोला और वाईएसआर ने लोकसभा की 25 में से 22 सीटों पर भारी मतों के साथ जीत दर्ज कर ली. वहीं विधानसभा चुनाव में भी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) को करारी शिकस्त देते हुए 175 में से 151 सीटों पर वाईएसआर ने शानदार जीत दर्ज कर ली. दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के खिलाफ साझा विपक्ष तैयार करने की कोशिश में जुटे चंद्रबाबू नायडू और उनकी पार्टी अपने ही घर में बुरी तरह हार गई.
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने वाले जगनमोहन रेड्डी अब राज्य के नए सीएम होंगे. लेकिन साल 2009 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी जमीन बनाने वाले जगनमोहन रेड्डी के लिए यह इतना आसान नहीं रहा.
पिता की विरासत और कांग्रेस से अलग राह
जगनमोहन रेड्डी को राजनीति विरासत में मिली. उनके पिता वाईएसआर रेड्डी आंध्र प्रदेश के जानेमाने नेता और मुख्यमंत्री रह चुके थे. साल 2009 में जगनमोहन रेड्डी के पिता वाईएसआर रेड्डी की एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी. जगनमोहन रेड्डी की राजनीतिक यात्रा यहीं से शुरू हुई.
दरअसल यह कहानी 1997-1998 से शुरू होती है जब कडप्पा से सांसद वाईएसआर रेड्डी को राज्य में कांग्रेस को मजबूत करने का जिम्मा सोनिया गांधी ने सौंपा. 1999 के विधानसभा चुनाव में जगनमोहन के पिता वाईएसआर ने काफी मेहनत की लेकिन वो कांग्रेस को राज्य में जीत नहीं दिला पाए. हालांकि वो चुनाव के बाद राज्य में एक मजबूत नेता के तौर पर जरूर उभरे.
साल 2003 में वाईएसआर रेड्डी ने कड़ी गर्मी के दौरान पूरे राज्य में 1600 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली जिस वजह से वो ग्रामीण क्षेत्र और किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए. यहां बता दें कि आंध्र की राजनीति में पदयात्रा का बेहद महत्व है जिस पर हम आगे बात करेंगे.
वाईएसआर को इस मेहनत का फल मिला और कांग्रेस 2004 में विधानसभा चुनाव आंध्र में जीत गई. लोकसभा चुनाव में भी भारी सफलता मिली और कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत दर्ज की जो जो केंद्र में सरकार बनाने के लिए बेहद अहम था. इस प्रदर्शन से राज्य के साथ ही वाईएसआर केंद्र में भी काफी मजबूती के साथ उभरे. पांच सालों तक राज्य सरकार चलाने वाले वाईएसआर आंध्र में कांग्रेस से भी ज्यादा ताकतवर होने लगे.
पिता के राजनीति में रहने के दौरान सिर्फ 27 साल की ही उम्र में जगन मोहन रेड्डी ने कारोबार शुरू कर दिया था. पिता के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके कारोबार में भयानक वृद्धि हुई और एक छोटे से पावर प्लांट के मालिक जगन मोहन रेड्डी इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर सीमेंट फैक्ट्री और मीडिया के बिजनेस तक में कूद गए. हालांकि साल 2009 का चुनाव कांग्रेस ने आंध्र में बहुत मुश्किल से जीता और वाईएसआर दूसरी बार सीएम बनने की तैयारी करने लगे.
इसी साल एक दौरे के दौरान हेलिकॉप्टर क्रैश कर जाने से उनकी मौत हो गई. वाईएसआर की लोकप्रियता इतनी थी कि उनकी मौत की खबर सुन कर कई लोगों ने आत्महत्या कर ली थी. वहीं दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश में मजबूत होते रेड्डी परिवार और कमजोर होती कांग्रेस को लेकर सोनिया गांधी चिंतित थीं.
वाईएसआर की मौत के बाद पार्टी विधायक जगन मोहन रेड्डी को सीएम बनाने की मांग करने लगे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष किसी ऐसे व्यक्ति को यह पद देना चाहती थीं जो पार्टी के लिए काम करे. किसी और के सीएम बनने की खबर सुनते ही आंध्र प्रदेश कांग्रेस में विद्रोह जैसी स्थिति हो गई.
जगन मोहन मुख्यमंत्री बनने के लिए सोनिया गांधी से भी मिले लेकिन उनकी बात नहीं बनी. उन्हें पिता की मौत के बाद राज्य में श्रद्धांजलि यात्रा तक निकालने की अनुमति नहीं मिली. हालात ऐसे हो गए कि 177 में से 170 विधायकों ने जगन मोहन रेड्डी को अपना समर्थन दे दिया. कांग्रेस ने इस विद्रोह को नजरंदाज कर रोसैय्या को राज्य का नया मुख्यमंत्री बना दिया. इस फैसले से दिवंगत वाईएसआर के बेटे जगन मोहन रेड्डी बेहद नाराज हो गए और कांग्रेस से अपनी राह अलग करते हुए नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया.
जगनमोहन ने साल 2009 में ही अपने पिता के नाम पर वाईएसआर कांग्रेस के नाम से नई पार्टी की नींव रखी और राजनीतिक संघर्ष शुरू कर दिया. 18 कांग्रेस विधायकों के कांग्रेस छोड़कर वाईएसआर में आने के बाद वहां इन सीटों पर साल 2012 में उप चुनाव हुए. इस उप चुनाव में जगहमोहन रेड्डी की पार्टी ने सबको चौंका दिया और 18 में से 15 सीटों पर जीत दर्ज कर ली. इसके बाद कारोबारी से राजनेता बने जगन मोहन रेड्डी कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी से टक्कर लेते रहे जिस दौरान उन्हें जेल तक जाना पड़ा. इस दौरान वो 2014 के चुनाव में टीडीपी के हाथों हार गए.
पदयात्रा मतलब सत्ता की सीढ़ी
आंध्र प्रदेश की राजनीति में पदयात्रा का बेहद महत्व है और यह आज से नहीं बीते कई दशकों से चलता आ रहा है. इतिहास गवाह रहा है कि वहां नेताओं के पदयात्रा ने सत्ता बदलाव में सबसे अहम रोल निभाया है.
साल 2004 के विधानसभा चुनाव से पहले जगनमोहन रेड्डी के पिता वाईएसआर रेड्डी ने तपती धूप में राज्य में करीब 1600 किलोमीटर की पदयात्रा की और किसानों और ग्रामीणों से मिले. इस दौरान उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई. इसका उन्हें सीधा फायदा मिला और वो 2004 में चुनाव जीतकर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए.
साल 2012 में कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने अनंतपुर से विशाखापत्तनम तक पदयात्रा निकाली. इस एक साल के पदयात्रा ने उन्हें साल 2014 में सत्ता के शिखर पर पहुंचा दिया और वो राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. 2014 में टीडीपी के हाथों मिली हार के बाद अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने भी कडप्पा से श्रीकाकुलम तक पदयात्रा की जिसको प्रस्थानम का नाम दिया.
इस पदयात्रा की मदद से जगन मोहन ने जनसंपर्क बढ़ाया. इसका इनाम उन्हें इस चुनाव में मिला और न सिर्फ विधानसभा बल्कि लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने सत्ताधारी पार्टी टीडीपी की जमीन पूरी तरह छीन ली.
राजनीतिक ताकत ने बढ़ाई कानूनी मुश्किलें
2014 के चुनाव के बाद आंध्र प्रदेश में जगह मोहन रेड्डी की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती गई और कांग्रेस की जगह वाईएसआर कांग्रेस राज्य में मुख्य विपक्षी दल बन गई. लोगों ने कांग्रेस से ज्यादा जगन मोहन की पार्टी पर भरोसा किया. हालांकि इस दौरान राजनीतिक ताकत बढ़ने के साथ ही कानूनी पचड़ों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया.
2003 में जहां जगन की संपत्ति करीब 10 लाख रुपये थी वहीं 2011 में अपने पिता की सीट कडप्पा से चुनाव लड़ते हुए दिए हलफनामे में उनकी संपत्ति बढ़कर 300 करोड़ हो गई. जगन की बेतहाशा बढ़ती संपत्ति को लेकर कांग्रेस के एक मंत्री और टीडीपी के दो नेताओं ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी.
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सीबीआई को जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ जांच करने का आदेश दे दिया. संपत्ति मामले की जांच के दौरान जगन मोहन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया गया. भ्रष्टाचार जगन मोहन रेड्डी की गिरफ्तारी ने उनकी छवि को बेहद नुकसान पहुंचाया.
जगनमोहन रेड्डी पर आरोप लगा कि अपने रसूख का इस्तेमाल कर उन्होंने राज्य के संसाधनों का दुरुपयोग कर अपने लिए अकूत संपत्ति बनाई. जगन के खिलाफ जांच की यह आंच बाद में कांग्रेस तक भी पहुंची और कई मंत्रियों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा.
जेल से निकलने के बाद अपनी छवि सुधारने के लिए जगन मोहन ने दिनरात एक कर दी और सत्ताधारी पार्टी टीडीपी की कमियों को लेकर जनता के बीच गए. जगनमोहन रेड्डी ने चंद्रबाबू पर हमलों का दौर शुरू जारी रखा और इसी दौरान पदयात्रा यात्रा भी शुरू की. अपने पिता की तरह इस पदयात्रा से जगनमोहन को अपनी छवि बदलने और आंध्र प्रदेश को समझने में मदद मिली जिसके बाद आज वो सत्ता के शिखर पर पहुंच गए हैं.