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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और टीएमसी के बीच घमासान मचा है, लेकिन असम की चुनावी तापिश भी कम नहीं है. पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य में कमल खिलाने में कामयाब रही है, जिसके हर हाल में वो अपने पास बचाए रखना चाहती है.
ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम दौरे से एक दिन पहले शुक्रवार को राज्य के तेजपुर विश्वविद्यालय के छात्रों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश की है. वहीं, पीएम के दौरे से पहले कांग्रेस ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है, जिससे साफ जाहिर है कि असम की लड़ाई काफी दिलचस्प होने जा रही है.
मोदी ने छात्रों का साधने की कवायद की
पीएम मोदी ने असम के तेजपुर विश्वविद्यालय के 18 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का गान असम राज्य को गौरवान्वित करता है. भूपेन दा ने इस गान में भारत और उसकी संस्कृति को खूबसूरती से चित्रित किया है. पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार आज जिस तरह नार्थ ईस्ट के विकास में जुटी है, जिस तरह कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे हर सेक्टर में काम हो रहा है, उससे आपके लिए अनेकों नई संभावनाएं बन रही हैं. इन संभावनाओं का पूरा लाभ उठाइए.
पीएम ने कहा कि आपके जमीनी स्तर के नवाचार 'वोकल फोर लोकल' को गति देंगे. ये नवाचार स्थानीय समस्याओं को सुलझाने में मदद करेंगे और इस प्रकार, विकास के नए द्वार खोले जाएंगे. उन्होंने तेजपुर यूनिवर्सिटी पूर्वोत्तर क्षेत्र की संस्कृति और जैव विविधता को संरक्षित करने का काम कर रही है यह सराहनीय काम है. बायोगैस को लेकर आप जो काम कर रहे हैं, उससे देश की बड़ी समस्या हल हो सकती है. हमें सबसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए.
पीएम मोदी जमीन का पट्टा देंगे
असम में विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शनिवार का दौरा काफी अहम माना जा रहा है. पीएम मोदी असम के शिवसागर जिले स्थित जेरेंगा पठार में 1.6 लाख भूमि पट्टा आवंटन प्रमाण पत्र वितरित करेंगे. चुनाव से पहले पीएम मोदी आदिवासी समुदाय को जमीनों का पट्टा देकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करेंगे, क्योंकि असम की राजनीति में ट्राइबल्स समुदाय की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है.
बता दें कि असम के स्थानीय लोगों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए असम की बीजेपी सरकार ने नई भूमि नीति बनाई, जिसके तहत वह भूमिहीन लोगों को जमीन पर पट्टा आवंटन प्रमाणपत्र देने का काम कर रही है. असम में 2016 में 5.75 लाख भूमिहीन परिवार थे, लेकिन मौजूदा बीजेपी सरकार ने मई 2016 से 2.28 लाख आवंटन प्रमाण पत्र वितरित किए हैं और अब अगली कड़ी में पीएम मोदी 1.6 लाख लोगों को जमीनी पट्टा देने के अभियान की शुरुआत करेंगे.
क्या है पीएम का कार्यक्रम
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में असम में लोगों को जमीन के पट्टे वितरित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दशकों से अनिश्चितता के बीच जीवन बिता रहे जातीय मूल के एक लाख से अधिक लोगों को जमीन का पट्टा देने के कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत शिवसागर जिले में जेरेंगा पठार से करेंगे.
शिवसागर जिले में जेरेंगा पठार में पीएम मोदी के कार्यक्रम कराने के पीछे भी बीजेपी की एक बड़ी सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है. जेरेंगा पठार स्थान का संबंध असम के पूर्ववर्ती अहोम साम्राज्य से है और यहां बड़ी आबादी अधिकतर आदिवासी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और चाय बागान में काम करने वाले पूर्व श्रमिक रहते हैं. अवैध अप्रवासी के चलते यहां की जनजातीय के लोग परेशान थे. राज्य सरकार नई भूमि नीति के तहत जनजातीय मूल के लोगों को जमीन उपलब्ध करा रही है.
बीजेपी को कांग्रेस घेरने में जुटी
हालांकि, पीएम मोदी के असम दौरे से पहले कांग्रेस ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) सरीखे मुद्दों पर 24 सवाल दागे और राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को निकालने में विफल रहने पर सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी उद्योग के विकास में बाधक हैं. सीएए लागू कर प्रधानमंत्री ने असम के मूल निवासियों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है.
कांग्रेस ने एक तरफ 6 दलों के साथ मिलकर गठबंधन किया है और अब सीएए के मुद्दे को उठाकर असम की राजनीति में बीजेपी को घेरने की कवायद की है. असम में सीएए के खिलाफ एक बड़ी आबादी है. यही वजह है कि कांग्रेस असम में सीएए के मुद्दे को धार दे रही है. हालांकि, बीजेपी असम में सीएए के मुद्दे पर खामोशी अख्तियार किए हुए हैं.
असम बीजेपी के लिए क्यों अहम है?
बता दें कि 2016 के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा ने असम में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था और अपने दम पर 126 सीटों में से 60 पर जीत हासिल की थी जबकि अपने सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) की साझेदारी में कुल 86 सीटों पर विजय हासिल की. बीजेपी असम में पहली बार कमल खिलाने में कामयाब रही है, जिसे वो किसी भी सूरत में अपने हाथों से नहीं निकलने देना चाहती है.
असम की जीत बीजेपी के लिए काफी अहम साबित होगी, इसलिए बीजेपी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है. असम में इस साल के विधानसभा चुनावों में भारी जीत से एक और बात साबित होगी कि मोदी-शाह की उन राज्यों में सत्ता पर काबिज रहने की क्षमता जो पारंपरिक रूप से अन्य दलों के गढ़ रहे हैं और वहां की सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की उनकी काबिलियत भी नजर आएगी. सीएए पारित होने के बाद के दौर का असम चुनाव भाजपा के राजनीतिक कौशल पर एक बड़े जनमत संग्रह के समान है.