
असम में आगामी विधानसभा चुनाव सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए बेशक एक चुनौती है. एन्टी इनकंबेंसी फैक्टर के अलावा, सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) का राज्यव्यापी विरोध भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.
हालांकि इन सब गतिरोधों से निपटने के लिए भाजपा के नेता महिला वोटरों पर ज्यादा ध्यान लगा रहे हैं. तमाम तरह की वो योजनाएं जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लागू की गई हैं उनका जोरशोर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.
भाजपा ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से अपने तमाम नेता और कार्यकर्ताओं को असम भेजा है, जहां वो गांव, शहर और मुहल्लों में घूम-घूमकर मीटिंग कर रहे हैं और महिला स्वावलंबन की योजनाओं के बारे में बता रहे हैं.
दिल्ली बीजेपी के पूर्वांचल मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष मनीष सिंह और राज्य युवा मोर्चा उपाध्यक्ष सुनील यादव भी इसी कड़ी में असम भेजे गए हैं. मनीष सिंह ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा महिलाओं के लिए जारी तमाम योजनाओं का हर जगह प्रसार किया जा रहा है.
नलबरी विधानसभा में मीटिंग
इस विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी बनाए गए मनीष ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को पहले राज्य सरकार से जो 12,000 रुपये की मदद मिलती थी, उसे इस सरकार ने 18,000 रुपये कर दिया है. इसके अलावा हजारों महिलाओं को 25,000 रुपये का लोन बिना डॉक्यूमेंट के दिया गया है.
असम राज्य में 84,000 महिला स्वंय सहायता समूह हैं जो महिलाओं को और विशेषकर गृहणियों को पार्ट टाइम रोजगार देने का काम करती हैं, उनको सरकार द्वारा 50,000 रुपये प्रति संस्था का अनुदान दिया गया है. मनीष सिंह ने कहा कि सीएए जैसे मुद्दों पर भी महिलाओं का समर्थन मिल रहा है.
जनसंवाद के जरिए घर-घर पहुंचने पर जोर
दिल्ली से गए सुनील यादव को असम के गुवाहाटी ईस्ट विधानसभा क्षेत्र का प्राभारी बनाया गया है. सुनील यादव ने बताया कि महिलाओं के लिए किए गए कामों को वो जनसंवाद मीटिंग के जरिये हर घर तक पहुंचाने में लगे हैं. उन्होंने कहा कि कहा कि तमाम बड़े नेताओं की रैलियों में महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और उनके समर्थन से पार्टी के सामने कोई चुनौती नहीं आएगी.
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