Advertisement

...तो हरियाणा में नहीं हो पाएगा गठबंधन? AAP को मंजूर नहीं कांग्रेस का सीट शेयरिंग फॉर्मूला

आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि अगर कांग्रेस मौजूदा फॉर्मूले पर कायम रहती है तो कोई गठबंधन नहीं होगा. ऐसे में AAP हरियाणा में 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस और बीजेपी के कई बागियों के AAP के टिकट पर लड़ने की उम्मीद है. आप उम्मीदवारों की पहली सूची रविवार को आ सकती है.

सूत्रों की मानें तो हरियाणा में सीट शेयरिंग पर कांग्रेस और AAP में बात नहीं बनी है (फाइल फोटो) सूत्रों की मानें तो हरियाणा में सीट शेयरिंग पर कांग्रेस और AAP में बात नहीं बनी है (फाइल फोटो)
प्रीति चौधरी
  • चंडीगढ़,
  • 06 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातचीत में सीटों की संख्या और निर्वाचन क्षेत्रों के चयन को लेकर बड़ी बाधा आ गई है. AAP सूत्रों का कहना है कि पार्टी को कांग्रेस का फॉर्मूला स्वीकार्य नहीं है. बता दें कि हरियाणा में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 12 सितंबर है.

आम आदमी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि अगर कांग्रेस मौजूदा फॉर्मूले पर कायम रहती है तो कोई गठबंधन नहीं होगा. ऐसे में AAP हरियाणा में 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस और बीजेपी के कई बागियों के AAP के टिकट पर लड़ने की उम्मीद है. आप उम्मीदवारों की पहली सूची रविवार को आ सकती है.

Advertisement

AAP की क्या डिमांड?

कांग्रेस ने हालिया लोकसभा चुनाव भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर लड़ा था. कांग्रेस ने सूबे की नौ सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और एक सीट आम आदमी पार्टी के हिस्से में आई थी- कुरुक्षेत्र. हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं और एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन नौ विधानसभा सीटें आती हैं. आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव के 9:1 वाले फॉर्मूले से ही सीट शेयरिंग चाहती है. 10 परसेंट के इस फॉर्मूले के आधार पर आम आदमी पार्टी नौ विधानसभा सीटों की मांग कर रही है.

9 सीटें देने को तैयार नहीं कांग्रेस

आम आदमी पार्टी जितनी सीटें मांग रही है, हरियाणा कांग्रेस के नेता उतनी सीटें देने पर सहमत नहीं हैं. हरियाणा कांग्रेस चाहती है कि आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और लेफ्ट को अगर साथ लेना ही है तो जितनी कम से कम सीटों पर सहमत किया जा सकता है, किया जाए. गठबंधन सहयोगियों के खाते की सीटें सिंगल डिजिट में ही रहें, डबल डिजिट में न जाएं.

Advertisement

इसके पीछे लोकसभा चुनाव नतीजे, सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी, जाट-किसान की नाराजगी को देखते हुए जीत का विश्वास भी वजह है. बिहार चुनाव नतीजों का फैक्टर भी है जब आरजेडी की अगुवाई वाला विपक्षी महागठबंधन जीत की दहलीज तक पहुंचकर भी सत्ता से चूक गया. इसके लिए कांग्रेस की अधिक सीटों वाली जिद को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था. हरियाणा कांग्रेस इन चुनावों में किसी भी स्तर पर अपने लेवल से कोई चूक नहीं करना चाहती जिससे उसकी संभावनाओं को नुकसान उठाना पड़े.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement