
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए आज का दिन खुशियां लेकर आया है. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत मंजूर कर दी है. वे आज तिहाड़ जेल से बाहर निकल सकते हैं. कोर्ट ने केजरीवाल से जुड़ी दो याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि केजरीवाल को जमानत मिल गई है. अब वो हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालेंगे और पार्टी की रणनीति को जमीन पर उतारेंगे. केजरीवाल की रिहाई से BJP और कांग्रेस की टेंशन बढ़ सकती है.
दरअसल, हरियाणा में बीजेपी की 10 साल से सरकार है. कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है. अब तक दोनों ही पार्टियां चुनावी अभियान में दमखम दिखाती आ रही हैं. इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी भी मैदान में है. अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. AAP को चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी के बागी नेताओं से उम्मीदें हैं. 2019 से इतर इस बार AAP ने अपने संगठन का विस्तार भी कर लिया और कई इलाकों में मजबूत पकड़ भी बनाई है. हालांकि, ये तो चुनाव नतीजे के बाद ही स्पष्ट होगा कि AAP का विधानसभा चुनाव में कितना जादू चलता है? लेकिन, अरविंद केजरीवाल की रिहाई ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के चेहरे पर चमक बिखेर दी है.
टाइमिंग के हिसाब से परफेक्ट है केजरीवाल की रिहाई
फिलहाल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल मोर्चा संभाले देखी गई हैं और केजरीवाल की गैरमौजूदगी में धुआंधार प्रचार कर रहीं थीं. उन्होंने केजरीवाल को हरियाणा के लाल और हरियाणा के शेर के तौर पर पेश किया है. हरियाणा में 12 सितंबर को नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है और अब प्रचार अभियान ने गति पकड़ ली है. बड़े नेताओं की रैलियों के कार्यक्रम तय हो गए हैं. ऐसे में केजरीवाल की रिहाई टाइमिंग के हिसाब से परफेक्ट मानी जा रही है.
अब हरियाणा चुनाव में पूरी ताकत से उतरेगी AAP
चूंकि, हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है. हरियाणा में आम आदमी पार्टी का संगठन दिल्ली और पंजाब की तुलना में काफी कमजोर है और ऐसे में केजरीवाल की कैंपेनिंग से ही उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा उम्मीद है. कांग्रेस से गठबंधन की बातचीत टूटने के बाद विपक्षी गठबंधन में भी फूट दिखाई दे रही है. जानकार कहते हैं कि केजरीवाल के बाहर आने से अब ना सिर्फ संगठन में एकजुटता देखने को मिल सकती है, बल्कि नाराज नेताओं को भी मनाकर चुनावी अभियान में जुटाने में मदद मिल सकती है.
दिल्ली, पंजाब के बाद पड़ोसी हरियाणा में AAP की नजर
केजरीवाल के लिए दिल्ली राजनीतिक कर्मभूमि है तो हरियाणा उनका अपना गृह राज्य है. केजरीवाल का हरियाणा में हिसार के खेड़ा में पुश्तैनी गांव है. अक्सर राजनीतिक कार्यक्रमों में भी केजरीवाल खुद को हरियाणा से जोड़ते आए हैं. केजरीवाल को दिल्ली वालों की नब्ज पहचानने में माहिर माना जाता है. उन्होंने हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब में भी अपनी पार्टी की सरकार बनवाकर इतिहास बनाया है. अब दिल्ली और पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा की बारी है. AAP नेता अपने चुनावी प्रचार में इस बात का भी जिक्र कर रहे हैं. केजरीवाल भी अपने चुनावी अभियान में इसे मुद्दा बना सकते हैं और आम जनता में भी इसका असर देखने को मिल सकता है.
केजरीवाल की रिहाई से AAP को मिलेगा बूस्टर
जानकारों का कहना है कि केजरीवाल की रिहाई से AAP को बूस्टर मिलेगा और पार्टी मजबूत होगी. संगठन एकजुट होगा और अपने सबसे बड़े चेहरे के जरिए बीजेपी और कांग्रेस को घेरने में मदद मिल सकेगी. केजरीवाल की रिहाई को कांग्रेस के लिए भी टेंशन माना जा रहा है. क्योंकि AAP बड़े स्तर पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है और नुकसान पहुंचा सकती है.
जानकार कहते हैं कि हरियाणा में AAP अभी भी अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है और पार्टी के प्रमुख नेता की जमानत से उसे एक मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल सकती है. यह रिहाई पार्टी के समर्थकों के मनोबल को बढ़ा सकती है. इससे AAP की चुनावी रणनीति को और मजबूती मिल सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पार्टी का जनाधार कमजोर है. AAP को प्रचार के दौरान एक सकारात्मक नैरेटिव तैयार करने का मौका मिल सकता है. हालांकि, चुनावी नतीजे कई अन्य फैक्टर पर भी निर्भर करते हैं.
BJP को शहरी इलाकों में नुकसान पहुंचा सकती है AAP
कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के लिए भी यह टेंशन होगी कि AAP उनके वोट बैंक में सेंध लगा सकती है. जानकार कहते हैं कि केजरीवाल की रिहाई को बीजेपी के लिए भी राहत नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, बीजेपी का शहरी इलाके में अच्छा खासा वोट बैंक है और AAP भी शहरी इलाके में पकड़ बना रही है. संभव है कि AAP, केजरीवाल के जरिए शहरी वोटर्स में सेंध लगा सकती है. इससे बीजेपी का नुकसान हो सकता है.
हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच पारंपरिक मुकाबला होता आया है. AAP का उभरना वोटों का बंटवारा कर सकता है. खासकर शहरी इलाकों और उन क्षेत्रों में जहां लोग बदलाव चाहते हैं. इससे कांग्रेस या बीजेपी को नुकसान हो सकता है, खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला करीबी है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है.
AAP अपने चुनावी एजेंडे में शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाती है. केजरीवाल की रिहाई से ये मुद्दे चुनावी चर्चा में केंद्र में आ सकते हैं.
बागियों के बहाने समीकरण बनाने की कोशिश करेगी AAP
एक फैक्ट यह भी है कि हरियाणा में कुछ बड़े नेताओं के परिवार ऐसे हैं, जो नाराज चल रहे हैं. इन्हें बीजेपी और कांग्रेस दोनों से टिकट नहीं मिला है. संभव है कि ऐसे नाराज नेता AAP के लिए मददगार साबित हो सकते हैं. AAP ने कई विधानसभाओं में ऐसे कैंडिडेट खड़े किए हैं जो इससे पहले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं. जाहिर है कि ये प्रत्याशी कांग्रेस को बहुत परेशान करेंगे. बीजेपी के विरोधी वोटों में अगर सेंध लगती है तो इसका नुकसान कांग्रेस को भुगतना होगा. हरियाणा में कम से कम 8 से 10 सीटें ऐसी हैं जहां आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट नहीं जीत सके तो कांग्रेस को कमजोर करने का तो काम कर सकते हैं. 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. मगर पार्टी का पार्टी का वोट शेयर केवल 0.48 प्रतिशत रहा था.
हरियाणा में AAP का किन इलाकों में प्रभाव?
- हरियाणा में AAP का फोकस खासकर शहरी और कस्बा इलाकों में ज्यादा है. दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आते हैं. AAP का प्रभाव यहां देखने को मिल सकता है. इन जिलों के लोग दिल्ली की राजनीति और नीतियों से प्रभावित होते हैं. दिल्ली में AAP सरकार के मॉडल के चलते पार्टी ने यहां एक बुनियादी जनाधार तैयार किया है.
- इसके अलावा, हिसार में AAP की पकड़ धीरे-धीरे बढ़ रही है. यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाला रहा है, जिससे AAP को एक अवसर मिला है. कुरुक्षेत्र और करनाल जिले भी NCR के करीब हैं और AAP ने यहां भी अपना आधार बढ़ाने का प्रयास किया है. करनाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गृह जिला है, इसलिए AAP के लिए यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है.
- सोनीपत और पानीपत जिले भी NCR का हिस्सा हैं और यहां के लोग दिल्ली की राजनीतिक घटनाओं से प्रभावित होते हैं. AAP ने यहां शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है.
- रोहतक भी महत्वपूर्ण जिला है जहां AAP ने अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की है. यहां परंपरागत रूप से कांग्रेस का प्रभाव रहा है, लेकिन AAP ने यहां भी विकल्प के रूप में अपनी पहचान बनाने का प्रयास किया है.
- भिवानी, रेवाड़ी और झज्जर जिले भी AAP के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं. खासकर जब पार्टी ग्रामीण और कस्बा इलाकों में अपनी रणनीति को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है.
हरियाणा में 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान होगा और 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे.